कहानी - रेलवे स्टेशन का वो एक दिन
(रेलवे स्टेशन पहुंचने पर वैभव को पता चला की उसकी ट्रेन 4 घंटे लेट है, पर ऐसा क्या हुआ की वैभव के लिए ये दिन मुसीबतों का दिन बन गया। )
वैभव रेलवे स्टेशन पर बैठा ट्रेन का इंतजार कर रहा था की तभी एनाउंसमेंट हुआ! एनाउंसमेंट से उसे पता चला की जिस ट्रेन से उसे जाना था वो चार घंटे लेट है, यह सुन वैभव बहुत परेशान हो गया!😱😱😱😱.........
"मैं कितनी देर से यहाँ सो रहा था और मेरी ट्रेन (तभी उसे कुछ याद आया एक लम्बी सांस लेते हुए ) ओह ट्रेन तो चार घंटे लेट है। तभी उसने घडी देखी अरे अभी भी तीन घंटे बाकि है। चलों एक घंटा तो कम हुआ।😓😓......
तभी वैभव ने बगल वाली बैंच पर देखा, एक अंकल बेंच पर बैठे अपना सामान व्यवस्थित कर रहे थे। उन्होंने भी वैभव की तरफ देखा और मुस्करा दिए। 👴 वैभव भी मुस्कराया और बोला - कहाँ जा रहे है अंकल ? 👲
झाँसी।और तुम, अंकल ने पूछा।👴
मैं तो भोपाल जा रहा हूँ टूर पर गया था। अब घर जा रहा हूँ। 👲
अच्छा। कहते हुए अंकल अपना सामान व्यवस्थित करने लगे।👴 (वैसे रेलवे स्टेशन हो या ट्रेन इतनी बातचीत दो अनजान व्यक्तियों में पहचान के लिए काफी है ) .
"अब तक वैभव को बहुत तेज भूख लगाने लगी थी " वो उठा और अंकल के पास जाकर बोला "अंकल मेरा सामान थोड़ी देर के लिए देखेंगे क्या, मुझे बहुत भूख लग रही है मै कुछ खाने के लिए ले आता हूँ।
हाँ हाँ तुम जाओं, अंकल ने कहा।👴
आपके लिए भी कुछ लेकर आऊं " वैभव ने पूछा।
नहीं नहीं मैंने खाना खा लिया है। अंकल बोले।
वैभव थोड़ी दूर पर एक स्टांल पर गया। जहाँ उसने गरम गरम बन रहे समोसे कचौड़ी पैक करवाये। पैसे देने के बाद जब उसने पर्स जेब में रखा तभी उसे अपने मोबाईल का ध्यान आया।😰😰😟😓📲
मैंने मोबाईल इसी जेब में तो रखा था। उसने अपनी सभी जेबों में देखा, मोबाईल नहीं था। वह आस पास नीचे देखने लगा , कही मोबाईल गिरा तो नहीं तभी किसी ने पूछा क्या हुआ भाईसाब।
मेरा मोबाईल नहीं मिल रहा है, मेने जेब में ही रखा था। वैभव ने कहा। 😕 😓
आपने अभी निकला तो नहीं था। उस व्यक्ति ने पूछा। 😯
नहीं, वैभव ने कहा।😕😕
घबराइए नहीं, आप अपने सामान में ही देखिये मिल जायेगा। 😯
वह भागा भागा आया और अपने सामान में देखने लगा। 😕
उसे इतना घबराया हुआ देखकर अंकल ने पूछा अरे तुम क्या ढूंढ रहे हो, इतने घबराये हुए क्यों हो।👴...
अंकल मेरा मोबाईल नहीं मिल रहा पता नहीं कहा रख दिया।😕
घबराओ नहीं मिल जायेगा, थोड़े इत्मीनान से ढूंढो। अभी तुम जिस स्टॉल पर गए थे वही तो नहीं भूल गए।👴
नहीं अंकल वही तो मुझे पता चला की मेरा मोबाईल गुम गया है।😕😧😚
वैभव को इतना परेशान होकर कुछ ढूंढ़ता देख अब तक आस - पास के लोगो को भी पता चल गया था की कुछ तो गड़बड़ है।
और कुछ ही देर में वहां कुछ लोग जमा हो गए। क्या हुआ भाईसाब। कुछ गुम गया क्या। 👤👥👥👥💭
हाँ मेरा मोबाईल नहीं मिल रहा है।😕😧😚
तभी भीड़ में से आवाज आई......,,,
अरे अपना सामान तो अच्छे से देखा है ना। एक एक सामान निकल कर देखो।👤👤
तभी दूसरी आवाज आई...,,
अरे अपनी जेबों में देख लिया की नहीं। 👤👥
देख लिया वैभव ने कहा।😢
एक के बाद एक आवाजे कई सुझावों के साथ वैभव के कानों में आ रही थी वैभव सोच रहा था ये लोग मेरी हेल्प करने आये है की पूछताछ केंद्र पर इंक्वायरी।
इन लोगो को विश्वाश हो या न हो मुझे तो अब तक विश्वास हो गया था की मेरा मोबाईल गुम गया है। 😭😭........
तभी दो पुलिस वाले टहलते हुए आये और पूछने लगे। अरे क्या हो रहा यहाँ कुछ गुम गया है क्या। एक पुलिस वाले ने पूछा।
किसी ने हमदर्दी दिखाते हुए कहा 😝 इन भाईसाब का मोबाईल गुम गया है....,,,
तभी दूसरा पुलिस वाला , आपने अपना मोबाईल आखरी बार कब देखा था।💂
करीब एक डेढ घंटे पहले। वैभव ने कहा।
एक डेढ़ घंटे से आपने अपना मोबाईल ही नहीं देखा। कमाल है लोग तो आजतक दस मिनट भी अपने मोबाईल के बिना नहीं रहते। पुलिसवाले ने हँसते हुए कहा। 😜😜
वो असल में थोड़ी देर के लिए मेरी आँख लग गई थी। 😴😴
थोड़ी देर के लिए, मतलब कितनी देर के लिए एक डेढ़ घंटे के लिए। पुलिसवाले ने कहा। 💂👥😠 👥👥
हाँ।(वैभव ने सिर झुकाते हुए ऐसे कहा जैसे उससे बहुत बड़ा अपराध हो गया हो) 🙇🙇😢
तब तो समझों मोबाईल तो गया। गनीमत समझो बाकि सामान बच गया। अरे साहब रेलवे स्टेशन पर आप एक- डेढ़ घंटे खर्राटे भरोगे तो क्या होगा, यही होगा। पुलिसवाला आँख दिखाते हुए बोला।
💂😠😈
इतना सुनते ही वैभव गुस्से से बोला आप ही ऐसा कहेंगे तो बाकी लोग क्या करेंगे। आप पुलिसवाले है। आपको लोगो के सामान की सुरक्षा करना चाहिए। 😠😬😡
(इतना सुनते ही पुलिसवाला तैश में आ गया) ओ भाईसाहब, यहां रोज हजारो लाखो लोग आते है हम यहाँ सबके सामान की सुरक्षा करने बैठे है क्या। खुद से तो अपना मोबाईल नहीं सम्भलता हमे ज्ञान बाँटने चले है। (कहते हुए पुलिसवाले वहां से चले गए) 😬😬😬😬😬..........
(तभी भीड़ से आवाज आई) सही तो है ये रेलवे स्टेशन है यहां तो अपने सामान की सुरक्षा खुद ही करनी होगी, इसमें पुलिसवालों को दोष देने से क्या फायदा। 👲👷👨.....
तभी दूसरा व्यक्ति ने उनका समर्थन करते हुए कहा अरे भाई आजकल तो भलाई का जमाना ही नहीं है।
(वैभव परेशान होकर बड़बड़ाते हुए) एक तो मेरा मोबाईल गुम गया ऊपर से इन लोगो की बातें, इन्हे किसने कहाँ यहाँ आकर खड़े हो। 😎😎
तभी अंकल ने वैभव के कंधे पर हाथ रख कर कहाँ अब जो होना था हो गया, तुम बहुत देर से परेशान हो रहे हो अब थोड़ी देर आराम से बैठो और कुछ खा लो , तुम्हे थोड़ा अच्छा लगेगा।👴
अंकल के समझाने पर वैभव ने समोसे - कचोरी का पैकेट उठाया और खोलने लगा की तभी पैकेट छिटककर बेंच के बगल के गेप में जा गिरा। वैभव सिर पकड़ कर बैठ गया। 😱😱फिर उठा, उसने देखा बेंच के बिल्कुल बगल में एक पिलर था। इसलिए बेंच और पिलर के बीच बहुत कम गैप था। समोसे - कचोरी का पैकेट उसी में ऊपर ही फस गया था। (वैभव गहरी साँस भरते हुए) शुक्र है पैकेट नीचे नहीं गिरा यही फस गया नहीं तो नुकास हो जाता। उसने पैकेट उठा लिया।
तभी गैप में नीचे सतह पर उसे कुछ दिखा वो जोर से चिल्लाया अंकल मेरा मोबाईल।🙌🙋
अंकल उठते हुए मिल गया क्या।👴👴
वैभव की आवाज इतनी तेज थी की आसपास के लोग फिर से उसके पास आकर खड़े हो गये। 🙌📣🎶 👥👥👥
मिल गया क्या, कहा मिला। कई आवाजे एक साथ आयी। 😊😀😂
(वैभव ने गैप की तरफ इशारा किया)यहाँ है 👎😁
फिर वो हाथ गैप में हाथ डालकर मोबाईल निकालने की कोशिश करने लगा। पर हाथ नीचे तक नही पहुंच रहा था। उसने दो तीन बार कोशिश की पर हाथ मोबाइल तक नहीं पहुंचा। 😡😡😡
किसी ने कहा अरे हाथ को थोड़ा आड़ा - तिरछा करके डालो पहुंच जायेगा।
(वैभव फिर धीरे से बुदबुदाया ) इतना शौक है तो अपना हाथ डालो न आड़ा - तिरछा करके, मेरा हाथ रबर का नहीं बना है जिसे घुमा घुमा के नीचे तक पहुचाऊं। 😕😠😬💥〰 〰 〰
तभी एक छोटा बच्चा आया उसके हाथ में एक छड़ थी , उसने वैभव से कहा अंकल इससे निकालो निकल जायेगा💃। (वैभव सोच रहा था इतनी भीड़ में केवल यही एक बच्चा अक्लमंद है, तभी वो पिलर के दूसरी और इशारा करते हुये बोला) मेरे दादाजी ने भेजी है। वैभव ने झट से पिलर की दूसरी और झाँक कर देखा एक बुजुर्ग व्यक्ति बैठे थे। वैभव को देखते ही बोले इससे निकालो निकल जायेगा।👳👳 (इस आशीर्वाद की मुझे बहुत जरूरत थी, थैंक्यू दादाजी, वैभव सोचते हुए )😌🙍
वैभव ने छड़ को गैप में डालकर मोबाईल खिसकाने की कोशिश की पर मोबाईल तो जैसे चिपक ही गया था। (अरे इस कोने कुचाले में बहुत मजा आ रहा है क्या बहार आजा मेरे भाई प्लीज, वैभव बुदबुदा रहा था 😖😓) की तभी एक लड़का बेंच के पास घुटनों पर बैठते हुए बेंच के निचे झांकते हुए बोला , अरे भाईसाहब धीरे धीरे खसकाइये वैसे यहां गेप बहुत कम है पर आ जायेगा आपका मोबाइल। (वैभव को इंस्ट्रक्शंस देते हुए) हाँ थोड़ा और थोड़ा और खिसकाइये।
हाँ हाँ थोड़ा सा कोना दिख रहा है , धीरे धीरे, अरे थोड़ा लेफ्ट लेफ्ट , नहीं नही थोड़ा ओर (तभी वैभव ने मोबाईल को थोड़ा जोर से हिला दिया) अरे इतनी जोर से क्यों हिला दिया वो अब दूसरी तरफ खिसक गया, धीरे धीरे कीजिये। (लड़के ने चिल्लाते हुए कहा 😪👹)
(वैभव उसे घूरते हुए 😈) अरे यहाँ इतना कम गेप है कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा है, तभी पीछे से किसी ने मोबाइल का टार्च जलाया।
हाँ हाँ अब दिखाए दे रहा। वैभव ने कहा ।😊
खैर, मोबाईल जैसे ही बेंच के निचे आया, नीचे बैठा लड़का खड़ा होकर वैभव से बोला बधाई हो , मोबाइल बेंच के नीचे आ गया है उठा लीजिये (कहकर वो लड़का वहां से चला गया )😇😇
(वैभव उसे देखते हुए सोच रहा था, इतनी देर से मुझे इंस्ट्रक्शन दे रहा था, आगे- पीछे , लेफ्ट - राइट और जब मोबाईल दिखा तो मुझे उठा के दे ही देता )😓😓........
आज सुबह सुबह पता नहीं किसका मुँह देखा जो इतनी परेशानियां आ रही है। लगता है अपना ही देख लिया कहते हुए वैभव घुटनों के बल बैठते हुए मोबाईल के लिए बेंच के निचे हाथ घूमने लगा पर मोबाईल बहुत पीछे दीवार के पास पड़ा था (वैभव ने झुक कर देखा) बापरे इसे उठाने के लिए तो मुझे पूरा लेटना ही पड़ेगा। उसने फिर छड़ के सहारे मोबाईल को खिसकाना शुरू किया पर मोबाईल बार बार फर्श पर चिपक रहा था, शायद बारिश की वजह से फर्श गिला था। अब तक वैभव घुटनों पर बैठा बैठा पसीना पसीना हो गया था। उसे बहुत खीज भी आ रही थी।
(वैभव सोच रहा था घर जाते ही कल से योगा शुरू करूंगा और १० किलों वजन कम करूगां। अभी तो खाना खाया नहीं तो ये हाल हो रहा है खा लेता तो पता नहीं क्या होता ) सोचते सोचते उसने थोड़ी जोर से छड़ घुमादि। मोबाइल को भी जरा जोर से धक्का लग गया..... मोबाईल को इतना गुस्सा आया की वो धन्न से दूसरी बेंच के निचे जा बैठा। अब तो वैभव के बहुत ही बुरे हाल थे। 🙅📱📲📲📲..... (वैभव 😭😭😭😭)
खैर मोबाईल तो निकालना ही था सो फिर वैभव प्रयासरत हो गया। अंततः मोबाईल हाथ में आ ही गया। मोबाइल हाथ में लेकर वैभव बहुत खुश होते हुए खड़ा हो गया। 😁😂🙌
खड़े होकर सबसे पहले अंकल तरफ देखते हुए हुए चिल्लाया अंकल मोबाइल मिला गया। पर अंकल तो वहां थे ही नहीं 😇😇। उसने सोचा हो सकता है अंकल की ट्रेन आ गई होगी। पर उसकी जब बाकि लोगो पर नजर पड़ी तो अभी तक आस पास जो लोग खड़े थे वो भी नदारत हो चुके थे। 😵😵😰😰
खैर वैभव खुश होकर अपनी बैंच पर आकर बैठ गया। (मोबाइल को निहारते हुए सोचने लगा ) अब में इत्मीनान से कुछ खा लेता हूँ। बहुत मशक्कत हो गयी है। उसने कचौड़ी - समोसे का पैकेट उठाया (अब तो सच में बहुत भूख लगने लगी है सोचते हुए ) पैकेट खोलने लगा की तभी उसे ट्रेन की सीटी सुनाई दी। उसने सामने देखा एक ट्रेन धीरे धीरे चलना शुरू हो रही थी (वो सोचने लगा मैं जल्दी खा लेता हूँ मेरी ट्रेन आने में भी अब थोड़ा ही समय बचा होगा) तभी उसकी नजर ट्रेन के डिब्बे पर लिखे नाम पर पड़ी वो अवाक् रह गया , ये तो मेरी ही ट्रेन है। 😵😵😤😤😤
वो उठकर दौड़ा पर तभी उसे सामान की याद आई , उसने सामान खींचा पर वो तो उसने एक चेन से बेंच से बांध दिया था। उसने जल्दी से चाबी ढूंढी और चेन खोल कर अपना सामान लेकर वो दौड़ा और चिल्लाया 🙋🙋🙋😭😭 अरे रोको रोको तभी उसे याद आया ये ट्रेन है बस नहीं, वो फिर चिल्लाया चेन खींचो, चेन खींचो जल्दी खींचो, पर तब तक ट्रेन की रफ़्तार तेज हो चुकी थी।
वैभव बदहवास सा भाग रहा था, अरे कोई चेन खींचो, चेन खींचो की तभी तीन चार पुलिस वाले आये और उसे पीछे खींच लिया। वैभव गुस्से से अरे छोड़ो मेरी ट्रेन निकल जाएगी। तभी एक पुलिसवाला बोला निकल जाएगी नहीं निकल गई 😜😝😋। और अगर हमने आपको पीछे नहीं खींचा होता तो अभी तक तो आप भी निकल लिए होते उस ट्रेन की तरह। (यह सुनकर वैभव थोड़ा होश में आया)
तभी पीछे से एक आवाज आई, अब समझ में आया की हमारा काम क्या है तुम जैसे सिरफिरों की रक्षा करना। 😠😬😡 वैभव ने देखा ये तो वही पुलिसवाला था जिससे उसकी बहस हुई थी।
वैभव फिर उसी बेंच पर जा बैठा, अचानक उसका हाथ किसी चीज पर पड़ा। समोसे - कचौड़ी का पैकेट वहीं पर उसका इंतजार कर रहे थे। मानो कह रहे हो, आओ अब इत्मीनान से हमको खाओ, 😜😜 अगली गाड़ी अब न तीन घंटे बाद की है..... 😩😰😟😱😱😱
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झाँसी।और तुम, अंकल ने पूछा।👴
मैं तो भोपाल जा रहा हूँ टूर पर गया था। अब घर जा रहा हूँ। 👲
अच्छा। कहते हुए अंकल अपना सामान व्यवस्थित करने लगे।👴 (वैसे रेलवे स्टेशन हो या ट्रेन इतनी बातचीत दो अनजान व्यक्तियों में पहचान के लिए काफी है ) .
"अब तक वैभव को बहुत तेज भूख लगाने लगी थी " वो उठा और अंकल के पास जाकर बोला "अंकल मेरा सामान थोड़ी देर के लिए देखेंगे क्या, मुझे बहुत भूख लग रही है मै कुछ खाने के लिए ले आता हूँ।
हाँ हाँ तुम जाओं, अंकल ने कहा।👴
आपके लिए भी कुछ लेकर आऊं " वैभव ने पूछा।
नहीं नहीं मैंने खाना खा लिया है। अंकल बोले।
वैभव थोड़ी दूर पर एक स्टांल पर गया। जहाँ उसने गरम गरम बन रहे समोसे कचौड़ी पैक करवाये। पैसे देने के बाद जब उसने पर्स जेब में रखा तभी उसे अपने मोबाईल का ध्यान आया।😰😰😟😓📲
मैंने मोबाईल इसी जेब में तो रखा था। उसने अपनी सभी जेबों में देखा, मोबाईल नहीं था। वह आस पास नीचे देखने लगा , कही मोबाईल गिरा तो नहीं तभी किसी ने पूछा क्या हुआ भाईसाब।
मेरा मोबाईल नहीं मिल रहा है, मेने जेब में ही रखा था। वैभव ने कहा। 😕 😓
आपने अभी निकला तो नहीं था। उस व्यक्ति ने पूछा। 😯
नहीं, वैभव ने कहा।😕😕
घबराइए नहीं, आप अपने सामान में ही देखिये मिल जायेगा। 😯
वह भागा भागा आया और अपने सामान में देखने लगा। 😕
उसे इतना घबराया हुआ देखकर अंकल ने पूछा अरे तुम क्या ढूंढ रहे हो, इतने घबराये हुए क्यों हो।👴...
अंकल मेरा मोबाईल नहीं मिल रहा पता नहीं कहा रख दिया।😕
घबराओ नहीं मिल जायेगा, थोड़े इत्मीनान से ढूंढो। अभी तुम जिस स्टॉल पर गए थे वही तो नहीं भूल गए।👴
नहीं अंकल वही तो मुझे पता चला की मेरा मोबाईल गुम गया है।😕😧😚
वैभव को इतना परेशान होकर कुछ ढूंढ़ता देख अब तक आस - पास के लोगो को भी पता चल गया था की कुछ तो गड़बड़ है।
और कुछ ही देर में वहां कुछ लोग जमा हो गए। क्या हुआ भाईसाब। कुछ गुम गया क्या। 👤👥👥👥💭
हाँ मेरा मोबाईल नहीं मिल रहा है।😕😧😚
तभी भीड़ में से आवाज आई......,,,
अरे अपना सामान तो अच्छे से देखा है ना। एक एक सामान निकल कर देखो।👤👤
तभी दूसरी आवाज आई...,,
अरे अपनी जेबों में देख लिया की नहीं। 👤👥
देख लिया वैभव ने कहा।😢
एक के बाद एक आवाजे कई सुझावों के साथ वैभव के कानों में आ रही थी वैभव सोच रहा था ये लोग मेरी हेल्प करने आये है की पूछताछ केंद्र पर इंक्वायरी।
इन लोगो को विश्वाश हो या न हो मुझे तो अब तक विश्वास हो गया था की मेरा मोबाईल गुम गया है। 😭😭........
तभी दो पुलिस वाले टहलते हुए आये और पूछने लगे। अरे क्या हो रहा यहाँ कुछ गुम गया है क्या। एक पुलिस वाले ने पूछा।
तभी दूसरा पुलिस वाला , आपने अपना मोबाईल आखरी बार कब देखा था।💂
करीब एक डेढ घंटे पहले। वैभव ने कहा।
एक डेढ़ घंटे से आपने अपना मोबाईल ही नहीं देखा। कमाल है लोग तो आजतक दस मिनट भी अपने मोबाईल के बिना नहीं रहते। पुलिसवाले ने हँसते हुए कहा। 😜😜
वो असल में थोड़ी देर के लिए मेरी आँख लग गई थी। 😴😴
हाँ।(वैभव ने सिर झुकाते हुए ऐसे कहा जैसे उससे बहुत बड़ा अपराध हो गया हो) 🙇🙇😢
तब तो समझों मोबाईल तो गया। गनीमत समझो बाकि सामान बच गया। अरे साहब रेलवे स्टेशन पर आप एक- डेढ़ घंटे खर्राटे भरोगे तो क्या होगा, यही होगा। पुलिसवाला आँख दिखाते हुए बोला।
💂😠😈
इतना सुनते ही वैभव गुस्से से बोला आप ही ऐसा कहेंगे तो बाकी लोग क्या करेंगे। आप पुलिसवाले है। आपको लोगो के सामान की सुरक्षा करना चाहिए। 😠😬😡
(इतना सुनते ही पुलिसवाला तैश में आ गया) ओ भाईसाहब, यहां रोज हजारो लाखो लोग आते है हम यहाँ सबके सामान की सुरक्षा करने बैठे है क्या। खुद से तो अपना मोबाईल नहीं सम्भलता हमे ज्ञान बाँटने चले है। (कहते हुए पुलिसवाले वहां से चले गए) 😬😬😬😬😬..........
(तभी भीड़ से आवाज आई) सही तो है ये रेलवे स्टेशन है यहां तो अपने सामान की सुरक्षा खुद ही करनी होगी, इसमें पुलिसवालों को दोष देने से क्या फायदा। 👲👷👨.....
तभी दूसरा व्यक्ति ने उनका समर्थन करते हुए कहा अरे भाई आजकल तो भलाई का जमाना ही नहीं है।
(वैभव परेशान होकर बड़बड़ाते हुए) एक तो मेरा मोबाईल गुम गया ऊपर से इन लोगो की बातें, इन्हे किसने कहाँ यहाँ आकर खड़े हो। 😎😎
तभी अंकल ने वैभव के कंधे पर हाथ रख कर कहाँ अब जो होना था हो गया, तुम बहुत देर से परेशान हो रहे हो अब थोड़ी देर आराम से बैठो और कुछ खा लो , तुम्हे थोड़ा अच्छा लगेगा।👴
अंकल के समझाने पर वैभव ने समोसे - कचोरी का पैकेट उठाया और खोलने लगा की तभी पैकेट छिटककर बेंच के बगल के गेप में जा गिरा। वैभव सिर पकड़ कर बैठ गया। 😱😱फिर उठा, उसने देखा बेंच के बिल्कुल बगल में एक पिलर था। इसलिए बेंच और पिलर के बीच बहुत कम गैप था। समोसे - कचोरी का पैकेट उसी में ऊपर ही फस गया था। (वैभव गहरी साँस भरते हुए) शुक्र है पैकेट नीचे नहीं गिरा यही फस गया नहीं तो नुकास हो जाता। उसने पैकेट उठा लिया।
तभी गैप में नीचे सतह पर उसे कुछ दिखा वो जोर से चिल्लाया अंकल मेरा मोबाईल।🙌🙋
अंकल उठते हुए मिल गया क्या।👴👴
वैभव की आवाज इतनी तेज थी की आसपास के लोग फिर से उसके पास आकर खड़े हो गये। 🙌📣🎶 👥👥👥
मिल गया क्या, कहा मिला। कई आवाजे एक साथ आयी। 😊😀😂
(वैभव ने गैप की तरफ इशारा किया)यहाँ है 👎😁
फिर वो हाथ गैप में हाथ डालकर मोबाईल निकालने की कोशिश करने लगा। पर हाथ नीचे तक नही पहुंच रहा था। उसने दो तीन बार कोशिश की पर हाथ मोबाइल तक नहीं पहुंचा। 😡😡😡
किसी ने कहा अरे हाथ को थोड़ा आड़ा - तिरछा करके डालो पहुंच जायेगा।
(वैभव फिर धीरे से बुदबुदाया ) इतना शौक है तो अपना हाथ डालो न आड़ा - तिरछा करके, मेरा हाथ रबर का नहीं बना है जिसे घुमा घुमा के नीचे तक पहुचाऊं। 😕😠😬💥〰 〰 〰
तभी एक छोटा बच्चा आया उसके हाथ में एक छड़ थी , उसने वैभव से कहा अंकल इससे निकालो निकल जायेगा💃। (वैभव सोच रहा था इतनी भीड़ में केवल यही एक बच्चा अक्लमंद है, तभी वो पिलर के दूसरी और इशारा करते हुये बोला) मेरे दादाजी ने भेजी है। वैभव ने झट से पिलर की दूसरी और झाँक कर देखा एक बुजुर्ग व्यक्ति बैठे थे। वैभव को देखते ही बोले इससे निकालो निकल जायेगा।👳👳 (इस आशीर्वाद की मुझे बहुत जरूरत थी, थैंक्यू दादाजी, वैभव सोचते हुए )😌🙍
वैभव ने छड़ को गैप में डालकर मोबाईल खिसकाने की कोशिश की पर मोबाईल तो जैसे चिपक ही गया था। (अरे इस कोने कुचाले में बहुत मजा आ रहा है क्या बहार आजा मेरे भाई प्लीज, वैभव बुदबुदा रहा था 😖😓) की तभी एक लड़का बेंच के पास घुटनों पर बैठते हुए बेंच के निचे झांकते हुए बोला , अरे भाईसाहब धीरे धीरे खसकाइये वैसे यहां गेप बहुत कम है पर आ जायेगा आपका मोबाइल। (वैभव को इंस्ट्रक्शंस देते हुए) हाँ थोड़ा और थोड़ा और खिसकाइये।
हाँ हाँ थोड़ा सा कोना दिख रहा है , धीरे धीरे, अरे थोड़ा लेफ्ट लेफ्ट , नहीं नही थोड़ा ओर (तभी वैभव ने मोबाईल को थोड़ा जोर से हिला दिया) अरे इतनी जोर से क्यों हिला दिया वो अब दूसरी तरफ खिसक गया, धीरे धीरे कीजिये। (लड़के ने चिल्लाते हुए कहा 😪👹)
(वैभव उसे घूरते हुए 😈) अरे यहाँ इतना कम गेप है कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा है, तभी पीछे से किसी ने मोबाइल का टार्च जलाया।
हाँ हाँ अब दिखाए दे रहा। वैभव ने कहा ।😊
खैर, मोबाईल जैसे ही बेंच के निचे आया, नीचे बैठा लड़का खड़ा होकर वैभव से बोला बधाई हो , मोबाइल बेंच के नीचे आ गया है उठा लीजिये (कहकर वो लड़का वहां से चला गया )😇😇
(वैभव उसे देखते हुए सोच रहा था, इतनी देर से मुझे इंस्ट्रक्शन दे रहा था, आगे- पीछे , लेफ्ट - राइट और जब मोबाईल दिखा तो मुझे उठा के दे ही देता )😓😓........
आज सुबह सुबह पता नहीं किसका मुँह देखा जो इतनी परेशानियां आ रही है। लगता है अपना ही देख लिया कहते हुए वैभव घुटनों के बल बैठते हुए मोबाईल के लिए बेंच के निचे हाथ घूमने लगा पर मोबाईल बहुत पीछे दीवार के पास पड़ा था (वैभव ने झुक कर देखा) बापरे इसे उठाने के लिए तो मुझे पूरा लेटना ही पड़ेगा। उसने फिर छड़ के सहारे मोबाईल को खिसकाना शुरू किया पर मोबाईल बार बार फर्श पर चिपक रहा था, शायद बारिश की वजह से फर्श गिला था। अब तक वैभव घुटनों पर बैठा बैठा पसीना पसीना हो गया था। उसे बहुत खीज भी आ रही थी।
(वैभव सोच रहा था घर जाते ही कल से योगा शुरू करूंगा और १० किलों वजन कम करूगां। अभी तो खाना खाया नहीं तो ये हाल हो रहा है खा लेता तो पता नहीं क्या होता ) सोचते सोचते उसने थोड़ी जोर से छड़ घुमादि। मोबाइल को भी जरा जोर से धक्का लग गया..... मोबाईल को इतना गुस्सा आया की वो धन्न से दूसरी बेंच के निचे जा बैठा। अब तो वैभव के बहुत ही बुरे हाल थे। 🙅📱📲📲📲..... (वैभव 😭😭😭😭)
खैर मोबाईल तो निकालना ही था सो फिर वैभव प्रयासरत हो गया। अंततः मोबाईल हाथ में आ ही गया। मोबाइल हाथ में लेकर वैभव बहुत खुश होते हुए खड़ा हो गया। 😁😂🙌
खड़े होकर सबसे पहले अंकल तरफ देखते हुए हुए चिल्लाया अंकल मोबाइल मिला गया। पर अंकल तो वहां थे ही नहीं 😇😇। उसने सोचा हो सकता है अंकल की ट्रेन आ गई होगी। पर उसकी जब बाकि लोगो पर नजर पड़ी तो अभी तक आस पास जो लोग खड़े थे वो भी नदारत हो चुके थे। 😵😵😰😰
खैर वैभव खुश होकर अपनी बैंच पर आकर बैठ गया। (मोबाइल को निहारते हुए सोचने लगा ) अब में इत्मीनान से कुछ खा लेता हूँ। बहुत मशक्कत हो गयी है। उसने कचौड़ी - समोसे का पैकेट उठाया (अब तो सच में बहुत भूख लगने लगी है सोचते हुए ) पैकेट खोलने लगा की तभी उसे ट्रेन की सीटी सुनाई दी। उसने सामने देखा एक ट्रेन धीरे धीरे चलना शुरू हो रही थी (वो सोचने लगा मैं जल्दी खा लेता हूँ मेरी ट्रेन आने में भी अब थोड़ा ही समय बचा होगा) तभी उसकी नजर ट्रेन के डिब्बे पर लिखे नाम पर पड़ी वो अवाक् रह गया , ये तो मेरी ही ट्रेन है। 😵😵😤😤😤
वो उठकर दौड़ा पर तभी उसे सामान की याद आई , उसने सामान खींचा पर वो तो उसने एक चेन से बेंच से बांध दिया था। उसने जल्दी से चाबी ढूंढी और चेन खोल कर अपना सामान लेकर वो दौड़ा और चिल्लाया 🙋🙋🙋😭😭 अरे रोको रोको तभी उसे याद आया ये ट्रेन है बस नहीं, वो फिर चिल्लाया चेन खींचो, चेन खींचो जल्दी खींचो, पर तब तक ट्रेन की रफ़्तार तेज हो चुकी थी।
वैभव बदहवास सा भाग रहा था, अरे कोई चेन खींचो, चेन खींचो की तभी तीन चार पुलिस वाले आये और उसे पीछे खींच लिया। वैभव गुस्से से अरे छोड़ो मेरी ट्रेन निकल जाएगी। तभी एक पुलिसवाला बोला निकल जाएगी नहीं निकल गई 😜😝😋। और अगर हमने आपको पीछे नहीं खींचा होता तो अभी तक तो आप भी निकल लिए होते उस ट्रेन की तरह। (यह सुनकर वैभव थोड़ा होश में आया)
तभी पीछे से एक आवाज आई, अब समझ में आया की हमारा काम क्या है तुम जैसे सिरफिरों की रक्षा करना। 😠😬😡 वैभव ने देखा ये तो वही पुलिसवाला था जिससे उसकी बहस हुई थी।
वैभव फिर उसी बेंच पर जा बैठा, अचानक उसका हाथ किसी चीज पर पड़ा। समोसे - कचौड़ी का पैकेट वहीं पर उसका इंतजार कर रहे थे। मानो कह रहे हो, आओ अब इत्मीनान से हमको खाओ, 😜😜 अगली गाड़ी अब न तीन घंटे बाद की है..... 😩😰😟😱😱😱
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