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Shri Radha Krishna |
चोरी, व्यभिचार, झूठ, कपट, छल, हिंसा, अभक्ष्य भोजन और प्रसाद आदि शास्त्रविरुध् नीच कर्मों को मन, वाणी और शरीर से किसी प्रकार भी न करना यह पहली श्रेणी का त्याग है।
Shri krishna |
स्त्री, पुत्र और धन आदि प्रिय वस्तुओं की प्राप्ति के उद्देश्य से एवं रोग-संकट आदि की निवृत्ति के उद्देश्य से किये जाने वाले यज्ञ, दान, तप और उपासनादि सकाम कर्मो को अपने स्वार्थ के लिए न करना, यह दूसरी श्रेणी का त्याग है।
Radhakrishn |
मान, बड़ाई, प्रतिष्ठा, एवं स्त्री, पुत्र और धनादि जो कुछ भी अनित्य पदार्थ प्रारब्ध के अनुसार प्राप्त हुए हो, उनके बढ़ने की इच्छा को भगवत्प्राप्ति में बाधक समझकर उसका त्याग करना, यह तीसरी श्रेणी का त्याग है।
Shri krishn radha |
अपने सुख के लिए किसीसे भी धनादि पदार्थो की अथवा सेवा कराने की याचना करना एवं बिना याचना के दिए हुए पदार्थो को या की हुई सेवा को स्वीकार करना तथा किसी प्रकार भी किसीसे अपना स्वार्थ सिद्ध करने की मन में इच्छा रखना उन सबका त्याग करना। यह चौथी श्रेणी का त्याग है।
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Shri Krishna |
ईश्वर की भक्ति, देवताओं का पूजन, मातापिता, गुरुजनों की सेवा, यज्ञ, दान, तप तथा वर्णाश्रम के अनुसार आजीविका द्वारा गृहस्थ का निर्वाह एवं शरीर संबंधी खान-पान इत्यादि जितने कर्तव्यकर्म है उन सब में आलस्य का सब प्रकार की कामना का त्याग करना ।
अपने जीवन का परमकर्तव्य मानकर परमदयालु, सबके सुहृद्, परमप्रेमी, अंतर्यामी परमेश्वर के गुण, प्रभाव और प्रेम की रहस्यमयी कथा का श्रवण, मनन और पठन पाठन करना तथा आलसरहित होकर उनके परम् पुनीत नाम का उत्साहपूर्वक ध्यान सहित निरन्तर जप करना।
Radakrishna |
इस लोक में और परलोक के जो स्वार्थ के सम्पूर्ण भोगों को क्षणभंगुर, नाशवान और भगवान् की भक्ति में बाधक समझकर किसी भी वस्तु की प्राप्ति के लिए भगवान से इच्छा न रखना।
Krishna |
शास्त्र मर्यादा से पूजने योग्य देवताओं के पूजने का नियत समय आने पर भगवान की आज्ञा का पालन करना परम् कर्तव्य है ऐसा समझकर उत्साहपूर्वक विधि के सहित उनकी पूजा करना।
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