हिंदी दिवस - कविता



कविता - क्योंकि हिंदी हूँ मैं 



क्योंकि हिंदी हूँ  मैं, अपने हिंदुस्तान की
अपने देश का मान हूँ , अभिमान हूँ,
गरिमा और शान हूँ !
क्योंकि हिंदी हूँ मैं , अपने......

मुझमें ही व्यक्त करते है सब अपने विचार,
भावनायें, संवेदनाये और हालात !
क्योंकि हिंदी हूँ मैं, अपने ......

मुझसें  किसी को डर नहीं, संकोच नहीं,
झिझक नहीं,
सबकी अपनी हूँ मैं, कोई परायी नहीं!
क्योंकि हिंदी हूँ मैं, अपने ......

सबको बाँहे फैलाये अपनाती हूँ
जब बच्चा पहली बार माँ  कहता है ,
तो अपने पर इठलाती हूँ !
क्योकि हिंदी हूँ मैं,अपने ......

खुशियाँ  हो तो मीठे शब्द बन खुशियाँ बढ़ाती हूँ
दुःख में संवेदनाओं का रूप ले ढाढस बंधाती हूँ!
क्योंकि  हिंदी हूँ मैं, अपने ......

पर जब, कोई अपना ही मुझें अपमानित करें
तो टूट जाती हूँ मैं
मेरे कारण गर शर्मिंदगी जतायें कोई
तो बिखर जाती हूँ मैं !
क्योंकि  हिंदी हूँ मैं, अपने ......

पर तू फिक्र न कर, मुझें अपनाने वाले बहुत से लोग आएंगे,
मेरे कारण अपना मान बढ़ा कर मुझ पर इतरायेंगे!
क्योंकि हिंदी हूँ मैं, अपने हिंदुस्तान की!




























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