PM Modi Kedarnath Visit 2021 in hindi | Modi in Kedarnath 2021 in hindi


माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी की केदारनाथ यात्रा | Manniya Prdhanmantri Shri Narendra  Modi ki Kedarnath Yatra


केदारनाथ में मोदी:- 

  • माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी ने 05 नवम्बर 2021 को पांचवी बार केदारनाथ मन्दिर के दर्शन किये।  प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेंद्र मोदी  पहले  भी चार बार मई 2017 में, अक्टूबर 2017 में, नवम्बर 2018 में और मई 2019 में  केदारनाथ मन्दिर के दर्शन कर चुके है। अतः यह उनकी पांचवी बार केदारनाथ यात्रा है।
  • इस बार प्रधान मंत्री ने बाबा केदारनाथ के दर्शन एवं पूजा  करने के बाद आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण भी किया। साथ ही केदार नगरी के विकास से जुडी  कई योजनाओं का उद्घाटन भी किया। 
  • केदारनाथ पहुंचकर सर्वप्रथम प्रधानमन्त्री ने केदारनाथ मन्दिर में भगवान् शिव का रुद्र अभिषेक किया, उनकी पूजा अर्चना की और बाबा केदारनाथ के दर्शन किये। 
  • इसके बाद उन्होंने आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि का लोकार्पण किया। यह  2013 में केदारनाथ में आये प्राकृतिक आपदा में क्षतिग्रत हो गयी थी। 
  • प्रधानमन्त्री ने आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण भी किया। 
  • 16 जून 2013 में केदारनाथ में आये भंयकर प्राकृतिक आपदा के कारण केदारनाथ नगरी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। अतः प्रधानमन्त्री ने इस नगरी को दुबारा बसाने का दृढ़ संकल्प किया था इसे पूर्ण करते हुए केदारनाथ नगरी के विकास से जुड़े करीब 400 करोड़ रूपये के पुर्ननिर्माण कार्यो का लोकार्पण और शिलान्यास किया।
  • "इससे पहले देहरादून के निकट जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर प्रधानमन्त्री मोदी का राज्यपाल, (सेवानिवृत्त, लेफ्टिनेंट जनरल) गुरमीत सिंह एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित अन्य लोगो ने स्वागत किया"। 

केदारनाथ मन्दिर| Kedarnath Temple:-

  • हिंदुओं का प्रसिद्ध केदारनाथ मन्दिर उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। 
  • यह मन्दिर तीनों तरफ से पहाड़ों से घिरा है। एक तरफ करीब 22हजार फुट केदारनाथ पहाड़, दूसरी ओर करीब 21 हजार 600 फुट खण्डकूट पहाड़ और तीसरी ओर 22 हजार 700 फुट भरतकूट पहाड़ स्थित है। 
  • यह मन्दिर कत्यूरी शैली से निर्मित  पत्थरों  से बना है।
केदारनाथ मन्दिर| Kedarnath temple

  • केदारनाथ  मन्दिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मन्दिर में  स्थित स्वयंम्भु शिवलिंग अति प्राचीन है। 
  • इस मन्दिर का निर्माण पांडवों के वंशज जनमेजय के द्वारा कराया गया था।
  • इस मन्दिर का जीर्णोद्धार आदिगुरु शंकराचर्य ने करवाया था। अतः उनका इस मन्दिर से बहुत गहरा संबन्ध है। 
  • यह मन्दिर प्रतिकूल जलवायु के कारण अप्रैल से नवम्बर के बीच ही दर्शनों के लिए खुलता है। बाकि समय के लिए बन्द कर दिया जाता है। 

आदिगुरु शंकराचार्य :- 

  • केरल के काल्पी में जन्मे आदिगुरु शंकराचार्य को भगवान शंकर का अवतार माना जाता है। 
  • 6 वर्ष की छोटी सी उम्र में ही उन्होंने चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। 
  • 8 वर्ष की आयु में उन्होंने सन्यास ले लिया अर्थात गृह त्याग दिया। 
  • आदिगुरु शंकराचार्य ने सनातन धर्म को आगे बढ़ाने का कार्य किया। 
  • उन्होंने पूरे देश में वेद और वैदिक धर्म का प्रचार प्रसार किया। 
  • देश के चारों कोने में चार मठों की स्थापना की। ये चार मठ है :-
1) रामेश्वरम में स्थित श्रृंगेरी मठ।
2) उड़ीसा में पुरी में स्थित गोवर्धन मठ।
3) गुजरात के द्वारका में स्थित शारदा मठ।
4) उत्तराखण्ड में स्थित ज्योतिर मठ।  
  • ये चारों मठ भारत की चारो दिशाओं में स्थित है।
  • आदिगुरु शंकराचार्य ने 6 वर्षों तक  तपस्या की। 
  • उन्होंने भगवद्गीता, उपनिषद, वेदांत सूत्रों पर  टीका लिखी।
  • 32 वर्ष की अल्पायु में ही केदारनाथ में उनका स्वर्गवास हो गया था। उसी स्थान पर केदारनाथ में उनकी समाधि  बनायीं गयी है एवं वही पर उनकी black stone से बनी मूर्ति का अनावरण प्रधानमन्त्री द्वारा किया गया है। 

आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति की विशेषता:-

  • आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति की ऊंचाई लगभग 12 फिट है।
  • मूर्ति निर्माण के लिए लगभग 130 टन की एक ही शीला का चयन किया गया, एवं इसे तराश कर मूर्ति का निर्माण किया गया। 
  • Black stone से बनी इस मूर्ति का वजन 35 टन है। मूर्ति निर्माण में नारियल पानी का इस्तेमाल किया गया है, जिससे प्रतिमा की सतह चमकदार रहे। 
  • अरुण योगिराज ने इस मूर्ति का निर्माण किया है। यह एमबीए है, और इनकी पाँच पीढ़ियां इसी काम में जुटी है। अरुण योगिराज कर्नाटक, मैसूर के मूर्तिकार है। 
  • प्रधानमन्त्री की सहमति मिलने के बाद मूर्ति के मॉडल का चयन किया गया । उसके बाद अरुण योगिराज और उनकी टीम द्वारा सितम्बर 2020 में इस मूर्ति का निर्माण कार्य शुरू हुआ। 
  • इस मूर्ति के निर्माण में लगभग 1 वर्ष का समय लगा।
  • आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति को सितम्बर 2021 में मैसूर से चिनूक हेलीकॉप्टर के द्वारा उत्तराखण्ड लाया गया।
  • Black stone से बनी इस मूर्ति को इस प्रकार तैयार किया गया है की यह किसी भी मौसम में सुरक्षित रह सके। अर्थात इस मूर्ति पर तेज हवा, आग, पानी, बारिश आदि किसी का भी असर नहीं होगा। 








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