प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा-भूटान यात्रा-2019 / PM Foreign Tour-Bhutan-2019



प्रतियोगिता दर्पण नवम्बर  2019 

करेंट अफेयर्स पार्ट-11महतत्वपूर्ण करेंट अफेयर्स की विस्तृत जानकारी 


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा :-

  • प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के आरम्भ में ही 17-18 अगस्त 2019 को भूटान की राजकीय यात्रा की।  
  • उनकी ये यात्रा  भारतीय विदेश नीति के दो मंतव्यो को दर्शाता है :
  1. भारत ने 2014 में "पड़ोस पहले " की जिस नीति का आरम्भ किया था, यह यात्रा उसी नीति को आगे बढ़ाने में सहायक है।  अपने पहले कार्यकाल आरम्भ  में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस नीति का आगाज किया था।  इसके क्रियान्वयन की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पहली यात्रा 2014 में भूटान कि की थी।  
  2. दक्षिण एशिया में भूटान ही एकमात्र ऐसा देश है जिसके साथ भारत के रिश्ते सदैव अच्छे रहे है।  इन  सबंधो के कारण दोनों देशो के बीच यह अघोषित परंपरा बन गयी है की दोनों नेता अपने कार्यकाल के आरम्भ में ही एक - दूसरे के देश की यात्रा करते है।  इसी परम्परा के चलते भूटान के प्रधानमंत्री बनने  के बाद श्री लोटे शेरिंग ने अपनी पहली विदेश यात्रा दिसम्बर 2018  में भारत कि  की  थी।  

बहुआयामी सम्बन्धो का आधार
भारत - भूटान मित्रता और सहयोग संधि


  •  भारत और भूटान के बीच के ऐतिहासिक    सम्बन्धो   का आधार  पूर्वकाल से ही चला आ रहा है। ब्रिटिश  शासन के दौरान भूटान और भारत की ब्रिटिश सरकार के बीच 1865 में संपन्न  " सिनचुला  संधि " के अंतर्गत भूटान को भारत की अन्य देसी रियासतो की तरह एक रियासत का दर्जा दिया गया था लेकिन  बाद में 1910 में एक अन्य संधि द्वारा यह व्यवस्था की गई  कि  " भारत  सरकार  भूटान के आतंरिक मामले  में  हस्तक्षेप नहीं करेगा, लेकिन भूटान  सरकार वैदेशिक मामलो में भारत सरकार की सलाह को स्वीकार करेगा। "
  • स्वतंत्रता के बाद  दोनों  देशो ने 1949 में "भारत- भूटान मित्रता और सहयोग संधि" पर हस्ताक्षर किये।  भारत के सुरक्षा हितो को ध्यान में रखते हुए  इस  संधि की धारा  2 में कहा गया की "भारत सरकार भूटान के आंतरिक प्रशासन में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा तथा भूटान अपने बाह्य सम्बन्धो में भारत सरकार की सलाह मानने  के लिए सहमत है। "
  •  2007  में भूटान सम्राट जिग्मे केसर नामग्याल वांगचुंक  भारत यात्रा के दौरान दोनों देशो ने संधि की इस धारा में संशोधन किया था ।  अतः वर्तमान व्यवस्था इस प्रकार है :- 
" भूटान और भारत के मध्य घनिष्ट मित्रता और सहयोग को ध्यान में रखते हुए दोनों देश अपने राष्ट्रीय हितो से जुड़े हुए मुद्दो पर सहयोग करेगें।  दोनों में से कोई भी देश एक - दूसरे की राष्ट्रीय  सुरक्षा व् हितो के लिए हानिकारक गतिविधियों के लिए अपने क्षेत्र का प्रयोग नहीं होने देंगे। "

  •  इसके साथ ही संधि की प्रस्तावना में यह नई बात जोड़ दी गई।   की दोनों देश एक- दूसरे की स्वतंत्रता, सम्प्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान हेतु वचनबद्ध है। 
अर्थात 

दोनों देश एक दूसरे की सुरक्षा के लिए हानिकारक गतिविधियों के लिए अपने क्षेत्र का प्रयोग नहीं होने देंगे तथा एक- दूसरे की स्वतंत्रता व् सम्प्रभुता का सम्मान करेगें।  

आर्थिक सम्बन्ध 

  • भूटान और भारत के मध्य व्यापर, जलविद्युत परियोजनाए तथा विकास सहायता, आर्थिक सम्बन्धो के महत्वपूर्ण पहलू है।  भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदारी है।  
  • भूटान एक भूआवेशित राज्य है अतः पारगमन सुविधा के द्वारा उसके बाह्य व्यापार को बढ़ाने में सहायता मिलती है, इसलिए भारत, भूटान को उसके व्यापर के लिए  भारत के सोलह स्थानों पर पारगमन की सुविधा उपलब्ध करा रहा है।  
  • आर्थिक सम्बन्धो का दूसरा महत्तवपूर्ण पहलू :- भारत द्वारा दी जाने वाली विकास सहायता  है भूटान में पंचवर्षीय योजनाओ के माध्यम से विकास कार्यक्रम को लागू किया जाता है।  अब तक भारत की सहायता से 12 पंचवर्षीय योजनाओ का क्रियान्वयन किया जा चुका है।  

भारत - भूटान जल- विद्युत सहयोग :-

  • भूटान जल विद्युत संसाधनों से संपन्न देश है. जल विद्युत संसाधनों का विकास जहाँ भूटान के आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है वही इस क्षेत्र में पारस्परिक साझेदारी से भारत को ऊर्जा सुरक्षा भी प्राप्त होती है।  इस क्षेत्र में काम करते हुए भारत, भूटान में 2000 मेगावाट क्षमता  की संयुक्त जल विद्युत परियोजनाओं को पूरा कर चूका है।  इनमे प्रमुख है :- 
  1. ताला जल विद्युत परियोजना - 1020 मेगावाट 
  2. चुक्खा  जल विद्युत परियोजना -336 मेगावाट 
  3. कुरीछू  जल विद्युत परियोजना -60 मेगावाट 

वर्तमान परियोजनाएं जिन पर काम चल रहा है :-
  1. पुनासांग्छू   प्रथम व् द्वितीय जलविद्युत परियोजना। 
  2.  खोलोंग्छू जलविद्युत परियोजना।  

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा, अगस्त 2019 :- 

  • प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 17-18 अगस्त 2019  को भूटान की राजकीय यात्रा की।  
  •  भूटान के पारो हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री लोवाय शेरिंग ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया।  
  • दोनों नेताओ के बीच विभिन्न द्विपक्षीय व् बहुपक्षीय मामलो पर चर्चा हुई।  
  • प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान नरेश जिग्में खेसर  नाम्ग्याल  वांगचुक से भी शिष्टाचार भेट की।  
  • प्रधानमंत्री श्री मोदी ने रॉयल भूटान विश्वविद्यालय के छात्रों को सम्बोधित किया।  
  • प्रधानमंत्री श्री मोदी थिम्पू के ऐतिहासिक सेम्तोखा  डांग मंदिर भी गए जहाँ भूटान के संस्थापक झाबड्रंग नवांग नामग्याल की प्रतिमा भी  स्थापित है।  
  • भूटान विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जो सकल खुशहाली इंडेक्स को विकास का मापदंड मानता है।  प्रधानमंत्री ने भूटान की सकल खुशहाली इंडेक्स की विचारधारा पर आधारित विकास की सराहना की।  
  • दोनों प्रधानमंत्रियों ने 720 मेगावाट की मांग्देछू  जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया।  
  • प्रधानमंत्री श्री मोदी ने दोनों देशो के पर्यटकों व् व्यापारियों की सुविधा के लिए भारत द्वारा जारी रुपे कार्ड जारी किया।  
  • प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत द्वारा छोड़े  गए दक्षिण एशिया सैटेलाइट के उपयोग के लिए भूटान में  इसके ग्राउंड स्टेशन का लोकार्पण किया।  
  • अंतरिक्ष में सहयोग बढ़ाने के लिए भारत, भूटान के लिए रिमोट  सेंसिग सैटेलाइट  बनाने में सहायता करेंगा।  
  • दोनों देशो के बीच  ज्ञान व् सूचना का आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए भारत के नेशनल नॉलेज नेटवर्क तथा भूटान के रिसर्च व् एजूकेशन नेटवर्क के बीच एक साझालिंक नेटवर्क का उद्घाटन किया  गया।  

निष्कर्ष :- 


  • यह की अभी तक भारत और भूटान के  बीच कोई बड़ा राजनीतिक  विवाद नहीं है परन्तु भूटान के सम्बन्ध में भारत की  मुख्यरूप से चिंता चीन के घुसपैठ व् प्रभाव की  है। 
  • दूसरी चिंता :- भूटान में रह रहे 4 हजार तिब्बती शरणार्थियों के भविष्य की  है।  
  •  1959  से ये शरणार्थी भूटान में रह रहे है।  
  • चीन के दबाब में आकर भूटान की राष्ट्रिय सभा ने 1979  में यह प्रस्ताव  पारित किया था , की ये शरणार्थी भूटान की नागरिकता ग्रहण कर ले अन्यथा उन्हें तिब्बत वापस भेज दिया जायेगा। परन्तु भारत ऐसा नहीं चाहता।  क्यों ? 
  • क्योकी  इन  शरणार्थियों को भूटान की नागरिकता देने पर तिब्बत की स्वायत्ता का दावा कमजोर हो जायेगा।  और यदि उन्हें तिब्बत वापस भेज दिया जाता है तो वहां उनके राजनीतिक अधिकार सुरक्षित नहीं होगें।  
  • तीसरी चिंता:- भूटान अपने वैदेशिक सम्बन्धो का अन्य देशो के साथ विस्तार करना चाहता  है।  भारत इस मामले में सम्वेदनशी है।  

लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की यह   यात्रा दोनों देशो के बीच ऐतिहासिक व् बहुआयामी घनिष्ट सम्बन्धो  को  मजबूत बनाने की दृष्टी से अत्यधि महत्त्वपूर्ण है 


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