History of Cardamom
Elaichi ke upyog in hindi :-
इलायची जिसके छोटे छोटे दानें गुणों के भण्डार है इसलिए तो ये दिखने में जितनी छोटी है इसकी कीमत उतनी ही अधिक है।
- इलायची को इंग्लिश में कार्डामोम (Cardamom) कहते है । इलायची के बीजो में मुख्य रूप से एक विशेष प्रकार का एसेंशियल ऑयल अर्थात उड़नशील तैल होता है। इसीलिए जब कभी हम इलायची के दानों को मुँह में रखते है तो एक महक या खुशबु भी आती है जिससे हमारा मुँह भी शुद्ध हो जाता है। इसलिए इसे मुखशुद्धि के लिए specially use किया जाता है।
- वैसे इलायची का उपयोग मिठाईयों में उसका स्वाद बढ़ाने के लिए एवं मसालों के रूप में प्रमुख रूप से किया जाता है। इसके आलावा भी कई और elaichi ke phayde hai.
इलायची के प्रकार / Types of Cardamom:- मुख्य रूप से इलायची दो प्रकार की होती है:-
1) छोटी इलायची
2) बड़ी इलायची
1) छोटी इलायची
2) बड़ी इलायची
1) छोटी इलायची/choti elaichi :-
- बॉटनिकल नेम- (इलेट्टरिया कार्डमोम माटन)। यह size में काफी छोटी होती है अतः इसे आम बोल चाल की भाषा में छोटी इलायची कहते है, इसके आलावा इसे हरी इलायची के रूप में भी जानते है।
- अपने विशेष सुंगंध एवं स्वाद के कारण इसे "मसालों की रानी " कहा जाता है।
- छोटी इलायची को मुख्य रूप से मिठाइयों का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके आलावा खाद्य पदार्थों, तेल खाद्य उत्पादों, इत्र बनाने में, पेय पदार्थ में एवं दवाईयों में भी इसका उपयोग किया जाता है।
- अतिथि सत्कार हो और इलायची का नाम न आये ऐसा तो हो ही नहीं सकता।
- इसी प्रकार इसका विशेषतौर पर मुखशुद्धि (अर्थात मुख की दुर्गन्ध हटाने के लिए ) भी उपयोग किया जाता है। इसे संस्कृत में तीक्ष्णगंधा भी कहते है।
2) बड़ी इलायची/ badi elaichi :-
- बॉटनिकल नेम (अमोमुम सुबुलाटम् रोक्सब)।
- बड़ी इलायची/ Black Cardamom size में छोटी इलायची से काफी बड़ी होती है अतः इसे बड़ी इलायची कहते है, इसके आलावा इसे और भी कई नामों से जाना जाता है जैसे भूरी इलायची, काली इलायची, लाल इलायची, नेपाली इलायची इत्यादि। इसके दानें भी छोटी इलायची के दानों से थोड़े बड़े होते है।
- ये सुगंधवर्धक होती है अतः इसका प्रयोग मसालो के रूप में मुख्य रूप से किया जाता है। क्योकि ये खाने के स्वाद को बढ़ा देती है।
- बिस्कुट, पेय पदार्थ, कोला आदि में सुगंध एवं स्वाद बढ़ाने के लिए इसका उपयोग होता है ।
- साथ ही ये एक औषधि के रूप में भी काफी उपयोगी है। इसलिए कई आयुर्वेदिक एवं यूनानी दवाईयों में भी इसका उपयोग किया जाता है ।
इलायची की खेती के लिए जलवायु और तापमान :-
- इलायची की अच्छी पैदावार के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके लिए समुद्र की हवा एवं छायादार स्थल अर्थात शीत आद्रता वाली स्थिति होना आवश्यक है। साथ ही 1500 मिमी. बारिश का होना भी आवश्यक है।
- अगर हम इसके तापमान की बात करे तो इलायची के लिए सामान्य तापमान (10 से 30℃ ) होना चाहिए।
इलायची का उत्पादन कहाँ होता है/ elaichi ka utpadan kahan hota hai :-
- अब हम बात करते है की भारत में इलायची की खेती किस राज्य में होती है तो भारत में मुख्य रूप से दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट ( कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु) में इलायची का उत्पादन होता है ।
- इलायची एक वाणिज्यक फसल के रूप में उगाई जाती है।
- विश्व में सर्वाधिक इलायची का उत्पादन कहाँ होता है तो इलायची की पैदावार ग्वाटेमाला, भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया में बहुत अधिक मात्रा में होती है। इसके आलावा तंजानिया, वियतनाम, थाईलैंडइ में भी ये पाई जाती है
- ग्वाटेमाला में एक पहाड़ी का नाम ही इलायची के नाम पर (कार्डेमाम हिल) है।
- वही बड़ी इलायची की बात करे तो ये उत्तरपूर्वी भारत, नेपाल, भूटान के उपहिमालयिन क्षेत्रों में अधिक मात्रा में पाई जाती है।
इलायची के औषधीय गुण / elaichi ke aushadhi gun:-
- इलायची केवल स्वाद बढ़ाने के लिए ही गुणों का भण्डार नहीं कही जाती है। वरन इसका एक और बहुत ही महत्तवपूर्ण गुण है औषधि के रूप में प्रयोग होना। आयुर्वेद मतानुसार इलायची बहुत सारे रोगों में लाभदायक है जैसे - सर्दी- खांसी (जुकाम) होने पर, छीक में , गले मे खराश होने पर, गले में सूजन, उल्टी आना, जीमचलाना, बदहजमी, मुँह से दुर्गन्ध आने पर, मुँह में छाले होने पर, हिचकी चलने पर, भूख बढ़ाने में, ह्रदय रोग में , ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में आदि। इन सभी में इलायची का उपयोग लाभदायक होता है।
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