कहानी - भोला नाई
(हम सब ने बचपन अपनी मम्मी, नानी, दादी से बहुत सी कहानियां सुनी होगीं। उन्ही में से एक कहानी ये भी है।)💁💁👦बहुत समय पहले की बात है एक राजा था। पर इस राजा की एक खासियत थी की वो कभी भी अपने बाल नहीं कटवाता था, क्योकि उसकी मजबूरी थी। इसलिए उस राजा के बाल बहुत ही बड़े बड़े हो गये थे।
एक बार गर्मी के मौसम में भीषण गर्मी पड़ी। अब तो राजाजी की हालात ख़राब, एक तो ऐसी भीषण गर्मी उस पर राजाजी के इतने बड़े बड़े बाल की बेचारे राजाजी करे तो क्या करे, बाल कटा नहीं सकते है और गर्मी सहन कर नहीं पा रहे थे।😭😭
आख़िरकार राजा की हालात देखकर उनका सबसे खास मंत्री बहुत परेशान हो गया। एक दिन माहामंत्री ने राजा से अकेले में कहा, महाराज आप इतने दिनों से परेशान है इतनी ज्यादा गर्मी पड़ रही तो आप अपने बाल क्यों नहीं कटवा लेते है।
इतना सुनते ही राजा तैश में चिल्लाते हुए बोले, तुम नहीं जानते हो क्या की हम बाल नहीं कटवा सकते। फिर भी तुम ऐसी बात क्यों कर रह हो।
मंत्री ने बड़ी ही विनम्रता से कहा, 👳महाराज मैं जानता हूँ की आप बाल नहीं कटवा सकते, क्योकि आपके कान बकरे के कान जैसे है परंतु महाराज.................. महामंत्री के इतना बोलते ही महाराज ने गुस्से से मंत्री की और देखा और अपने मुँह पर उंगली रखते हुए मंत्री से फुसफुसाते हुये दबी आवाज में बोले, चुप चुप धीरे बोलो, किसी ने सुन लिया तो, अरे दीवारों के भी कान होते है।
माहामंत्री ने भी महाराज के सुर में सुर मिलाते हुए बिल्कुल दबी आवाज में कहा महाराज चिंता न करे , इस समय यहाँ कोई भी नहीं है......सिर्फ हम दोनों ही है।
मंत्री की बात सुनकर महाराज ने आस पास देखा और बोले ठीक है, ठीक है।
महाराज, आप की हालात मुझसे देखी नहीं जाती, इस समस्या का कोई न कोई हल तो निकालना ही पड़ेगा ना। महामंत्री ने बड़े दुखी मन से कहा।
समस्या का हल, महामंत्री क्या इस समस्या का कोई हल निकल सकता है। राजा ने उत्साहित होकर मंत्री से पूछा।😮😮
महामंत्री ने कहा, हाँ महाराज हम एक नाई को महल में चुपचाप बुलाकर आपके बाल कटवा लेंते है, और आपके कान छुपाने के लिए एक बड़ा सा मुकुट बनवा लेंगे ताकि आपके कान उसमे छुप जाये। किसी को कानो कान खबर नहीं होगी, आप चिंता न करे।
तभी महाराज बोले, और अगर उस नाई ने गाँव में जाकर सबको बता दिया तो हमारी तो नाक कट जायेगी।
इतना सुनते ही मंत्री ने कहा अरे नहीं नहीं महाराज हम नाई को खूब सारा धन दे देंगे, मैं एक ऐसे नाई को जनता हूँ, जो धन का बहुत लालची है उसे हम खूब सारा धन दे देंगे तो वह कभी किसी के सामने मुँह नहीं खोलेगा।
यह बात सुनकर राजा कुछ देर सोच में पड़ गया और बोला ठीक है उस नाई को बुलवा लो।
दूसरे दिन भोला नाई को चुपचाप महल में बुलाया गया। महामंत्री ने भोला नाई को बहुत सारा धन दिखाते हुए कहा, देखो तुम्हे महाराज के बाल काटना है। बाल काटने के बाद ये सारा धन जो तुम देख रहें हों तुम्हारा हो जायेगा।
इतना सुनते ही भोला नाई की आँखों में चमक आ गई , वो सोचने लगा बाल काटने के लिए इतना सारा धन, इससे तो मेरा सारा जीवन आराम से बीत जायेगा, अरे मेरे तो दिन फिर गए। वो ये सोच ही रहा था की तभी महामंत्री बोले, लेकिन महाराज की एक शर्त है।
तुम महाराज के बाल काटने महल में आये थे ये बात गांव में जाकर किसी को नहीं बताओगें।
नाई मुस्करा कर बोला, इतनी सी शर्त, नहीं बतायेगें महाराज, इसमे कौन सी बड़ी बात है।(भोला नाई ने कह तो दिया की किसी से कुछ नहीं कहेंगा, पर उसकी आदत थी जब तक वो इधर की बात उधर नहीं कर देता उसे चैन नहीं पड़ता था, पर अब धन चाहिए तो इतनी सी शर्त तो माननी होगी। )
तभी महाराज बोले आज इस कक्ष में जो कुछ भी होगा, तुम जो कुछ भी देखोगे, वो किसी को कभी नहीं बताओगे। और अगर किसी को बताया तो तुम्हे मृत्यु दंड दिया जायेगा।
भोला नाई महाराज की बात सुनकर सोचने लगा, ये राजा कितना अजीब है। बाल काटने की बात किसी को पता चल गई तो मृत्युदंड दे देगा, अरे बाल तो सभी कटवाते है इतनी छोटी सी बात के लिए मृत्युदंड दे देंगे, खेर मुझे क्या पड़ी है जो मैं किसी को बताऊँ।
भोला नाई थोडा सँभलते हुए बोला, महाराज आप बिलकुल फिकर न करे। मैं आपके बाल काटने आया था ये बात किसी को भी पता नहीं चलेगी।
कुछ समय पश्चात् ही नाई ने महाराज के बाल काट दिए, पर जैसे ही उसकी नजर महाराज के कान पर पड़ी वो जोर से चिल्ला पड़ा। महाराज आपके कान..............😵😵😱😱.
लेकिन तभी महामंत्री ने कहा, अरे क्या देख रहे हो। याद रहे तुमको यह बात बहार जाकर किसी से नहीं बताना है नहीं तो महाराज ने तुमको इसका दंड बता दिया है समझे।
इतना सुनते ही भोला नाई घबरा कर बोला नहीं बोलूंगा, बिल्कुल नहीं बोलूंगा, किस्सी.... से नहीं बोलूंगा महाराज । अब मुझे जाने की आज्ञा दे, और वो तेजी से अपने घर की और चल दिया।
भोला नाई अपने गाँव आने के बाद दो - तीन दिन तक घर से बहार नहीं निकला। लेकिन उसे इतनी बड़ी बात "की राजा के कान बकरे जैसे है " हजम नहीं हो रही थी, वो बहुत बेचैन हो रहा था आखिर किससे कहे ये बात। अब तो धीरे धीरे भोला नाई का पेट भी फूलने लगा, क्या करता इतनी बड़ी बात वो पचा नहीं पा रहा था। उसने सोचा कुछ भी हो मुझे ये बात किसी से तो कहनी होगी, नहीं तो मेरा पेट ऐसे ही फूलता रहा तो फट जायेगा।😦😦
बहुत सोच विचार कर भोला नाई एक दिन रात को जंगल में गया और वहां उसने एक पेड़ के पास जाकर राजा के कान वाली सारी बात बता दी, तब जाकर उसका पेट ठीक हुआ, और उसकी बैचेनी भी ठीक हो गई। अब वो ये सोच कर बहुत खुश था की मैंने जो राजा से कहा वही किया, गॉव में किसी को पता भी नहीं चला और मैंने राजा के बकरे जैसे कान वाली बात पेड़ को बता भी दी, अब जाकर मुझे चैन पड़ा, अब घर जाकर आराम से सोऊंगा।
दूसरे दिन जंगल में कुछ लकड़ी काटने वाले आये और दूसरे पेड़ों को साथ उस पेड़ को भी काटकर ले गए।
उन्ही लकड़ियों में से कुछ से कुछ वाद्ययंत्र (ढ़ोलक, सारंगी, तबला ) बनाये गये, जो की महल में जो संगीतकार थे उनके लिए थे।
कुछ समय पश्चात् दरबार में एक संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमे वही वाद्ययंत्र लाये गए जो उस जंगल की लकड़ियों के बने थे।
संगीत का कार्यक्रम शुरू हुआ तो एक कलाकार ने जैसे ही ढ़ोलक बजाया तो ढ़ोलक से संगीतमय लय में आवाज आई ढपक ढपक राजा बकर कना, ढपक ढपक राजा बकर कना, यह सुन सभी दरबार में बैठे लोग आश्चर्यचकित हो कर इधर उधर देखने लगे की इतने में सारंगी बजाने वाले ने सारंगी बजाई उसमे से संगीतमय आवाज आई तुनन तुनन तो से के ने कही, तुनन तुनन तो से के ने कही और जैसे ही तबला बजाने वाले ने तबला बजाय उसमे से आवाज आई ढप ढप ढप भोला नाई ने कही, ढप ढप ढप भोला नाई ने कही । ढपक ढपक राजा बकर कना, ढपक ढपक राजा बकर कना, तुनन तुनन तो से के ने कही, तुनन तुनन तो से के ने कही, ढप ढप ढप भोला नाई ने कही, ढप ढप ढप भोला नाई ने कही । 🎺🎻
यह बात सुनकर सभी लोग महाराज की और आश्चर्य से देखने लगे, और तब लोगों को समझ में आया की महाराज इतना लंबा मुकुट अपने कानों को छुपाने के लिए पहनते थे।
अब तो महाराज की हालात देखने लायक थी वे गुस्से में चिल्लाये भोला नाई को तुरंत दरबार में पेश करों। और कुछ ही देर में सैनिक भोला नाई को पकड़कर दरबार में ले आये। भोला नाई की तो डर के मारे हालात बुरी हो रही थी। वो हाथ जोड़े महाराज के सामने खड़ा था। की तभी ....
महाराज ने उससे गुस्से से पूछा, तुम्हे हमने कहा था ना की ये बात किसीको भी पता नहीं चलना चाहिए, लेकिन तुमने हमारी बात नहीं मानी, इसलिए हम तुम्हे मृत्युदंड देगें ।
भोला नाई महाराज के सामने गिड़गिड़ा कर बोला, नहीं महाराज नहीं । मुझे मृत्युदण्ड मत दीजिये। मैंने गाँव में किसी से कुछ नहीं कहा, पर महाराज आपके कान बकरे जैसे है ये बात मुझे हजम नहीं हो रही थी मेरा पेट फूलता जा रहा था इसलिए मैंने रात में जंगल में जाकर एक पेड़ से सारी बात कह दी तब जाकर मुझे चैन मिला, अब मुझे क्या पता था की उसी लकड़ी के वाद्ययंत्र बनेंगे और ये बात सबको पता चल जाएँगी। इसमे मेरा कोई दोष नहीं है, महाराज।
तभी महामंत्री बोले महाराज अब तो यह बात सबको पता चल ही गयी है, इसलिये कृपा करके आप भोला नाई को माफ कर दीजिये।
इस घटना के बाद राजा ने भी अपने कान छुपाना छोड़ दिया। और भोला नाई को ईनाम दिया, क्योकि उसकी वजह से उनकी सबसे बड़ी समस्या हल हो गई थी।
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