हिंदी कहानी- माँ का निस्वार्थ प्रेम

           

कहानी - माँ का निःस्वार्थ  प्रेम 



 समीर गाड़ी चला रहा था  और पिछली सीट पर  माँ  बैठीं  थी बगल में एक बैग रखा था जिसमे माँ के कपडे थे! माँ लगातार समीर की ऒर एक आस  भरी नजर से देख रही थी कि शायद समीर पीछे मुड़  कर माँ से कहेगा "माँ तुम वृद्ध आश्रम नहीं जाओगी " हम वापस घर चलते है, पर समीर का तो  पूरा ध्यान सिर्फ गाड़ी पर ही था, जैसे उसे माँ की तकलीफ का कोई एहसास ही न हो!

 तभी माँ को अतीत की कुछ यादें स्मरण हो आयी मानो कल की ही बात हो जब नन्हें समीर ने अपने नन्हें नन्हें क़दमों से चलना शुरू किया था! जैसे ही समीर ने अपना पहला कदम बढ़ाया था माँ ख़ुशी से उछल पड़ी थी!

 यह सब सोचते सोचते माँ के होठो पर हल्की सी मुस्कान फैल गयी, (शायद वो अपने ऑचल में अतीत के कुछ लम्हो को समेट लेना चाहती थी) की तभी उनके कानों  में समीर की आवाज आयी "माँ वृद्ध आश्रम आ गया है" यह सुनते ही माँ जैसे एक ही झटके में अंदर तक हिल गयी मानो उनके आँचल  के वो सारे लम्हे एक ही पल में जमीं पर आ गिरे हो!

समीर ने माँ का बैग उठाया और आश्रम की तरफ चल दिया! अंदर पहुंचकर समीर ने सभी फार्मलिटिस पूरी की और माँ के पास आकर जैसे ही उनके पैर छूने के लिए झुका माँ ने अपना हाथ सहसा ही उसके सर पर रख दिया (जबकि हजारों सवालों के बवंडर उनके मन में उठ रहे थे, आखों में आसुंओं  का सैलाब उमड़ रहा था, कलेजा मुंह को आ रहा था, मन चीत्कार कर रहा  था, पर दिल, माँ का दिल मान ही नहीं रहा था की उनका बेटा  गलत हो सकता है वो तो यही कह रहा था की मेरा बेटा  तो मुझसे बहुत प्यार करता है वो मेरी बहुत परवाह करता है जरूर उसकी कोई मजबूरी होगी, नहीं  तो वो मुझे ऐसे अकेले नहीं छोड़ता) यही सोंचते हुए माँ ने समीर से कहा   "मुझसे मिलने तो आएगा ना"!  समीर ने सर हिला कर मौंन स्वीकृति दी, अपना ख्याल रखना बेटा माँ ने फिर कहा, इतना सुनते ही समीर तेजी से वहां से निकल गया शायद  थोड़ी देर के लिए उसकी संवेदनाये जाग उठी थी ! समीर को जाता देख माँ सोच रही थी क्या में समीर को मरने से पहले दुबारा देख पाऊँगी !

 कहानी - माँ का निःस्वार्थ  प्रेम 


तभी माँ के कानों में एक मधुर सी आवाज आयी माँजी अंदर चलिये!  मैं विकास, यहां का केयर टेकर हूँ, आपको यहां कोई तकलीफ नहीं होगी, आज से ये आपका  भी घर है! शायद वो माँ की कुछ तकलीफ दूर करने की  कोशिश कर रहा था!
 "पर माँ अब तक यह समझ चुकी थी की जिस पीड़ा से वो गुजर रही है उसका अंत उनके जीवन के साथ ही होगा "

धीरे धीरे समय बीतने लगा! माँ को आश्रम में साल भर होने वाला था पर न तो समीर कभी उनसे मिलने आया और नाही कोई और! माँ अब पूरी तरह से टूट चुकी थी वो काफी कमजोर और बीमार रहने लगी थी.

एक दिन माँ सुबह आश्रम में स्थित मंदिर जा रही थी तभी कुछ लोग बाते कर रहें थे जिसमें उनकों समीर का नाम सुनाई दिया! नाम सुनते ही वो विचलित हो गयी उन्होनें तुरंत विकास को बुलाया और पूछा विकास समीर ठीक तो है ना, यहां कुछ लोग समीर के बारे में बाते कर रहें है!
 
समीर का नाम सुनकर विकास सहम गया, नहीं माँजी आपको भ्रम हुआ होगा!  सच सच बताओं विकास तुम मुझसें  कुछ छुपा तो नहीं रहे ना! माँ ने कहा!

माँ की बेचैनी देख कर विकास को सच बताना पड़ा!  माँजी,  वो समीर का एक्सीडेंट हो गया है पर वो ठीक है बस बेहोश है, डॉं० ने कहा है! इतना सुनते ही माँ लड़खड़ाते कदमों से मंदिर की ओर चल दी!

सुबह से शाम हो चुकी थी और माँ भगवान के सामने समाधी लगाए एक हाथ में माला लिए जाप कर रही थी ! तभी विकास वहां आया और बोला, माँजी शाम हो गयी है आपने सुबह से पानी भी नहीं  पिया है ऐसे तो आपकी तबियत ख़राब हो जाएगी, कुछ खाँ लीजिये!

जब तक समीर को होश नहीं आ जाता मैं अन्न जल ग्रहण नहीं करुँगी! भगवान को किसी की जान लेनी है तो वो मेरी ले......, यह कहते हुए माँ फिर जाप करने लगी! विकास बहुत परेशान था पर बेबस था!

समीर का अस्पताल में आज तीसरा दिन था उसे अब तक होश नहीं आया था ! आज विकास अस्पताल जाने से पहले मंदिर आया, माँ को देख कर बहुत दुखीः था उसने भगवान से प्रार्थना की,  "माँ की विनती सुन लो भगवन समीर को ठीक कर दो नहीं तो माँ".... यह कहते हुए वो वहाँ से अस्पताल के लिए निकल गया !

अस्पताल पहुंचने पर उसे पता चला की समीर को अभी अभी होश आया है वो उलटे पैर आश्रम की ओर चल दिया! आश्रम आतें ही विकास ख़ुशी से चिल्लाया माँजी समीर को होश आ गया, वह तेजी से मंदिर की तरफ दौड़ा आश्रम के  बाकि लोग भी उसके पीछे चल दिये!

मंदिर आकर विकास फिर से चिल्लाया माँजी समीर को होश आ गया भगवान ने आपकी सुन ली कहते हुए उसने माँ के कंधे पर जैसे ही हाथ रखा माँ एक और लुढ़क गयी!

 "सच में भगवान ने माँ की सुन ली थी! सुनते भी क्यों न, आखिर माँ  की जिद के आगे तो भगवान् को भी झुकना पड़ता है"!






       



















         





























         

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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