कहानी- श्याम और शेरू की दोस्ती
(श्याम, पिता के दूसरी जगह ट्रांसफर होने से बहुत दुखी था, क्योकि उसके सारे दोस्त छूट गए थे। पर नयी जगह उसे एक ऐसा सच्चा दोस्त मिलेगा, जो हमेशा उसका साथ देगा, यह उसने कभी सोचा नहीं था।)
श्याम के पिता का ट्रांसफर एक छोटे से शहर रामपुर में हो गया था. श्याम बहुत उदास था, उसके स्कूल के सभी दोस्त छूट गए थे. पिता को नए शहर में एक सरकरी मकान मिल गया था! मकान छोटा था, पर ठीक था !
आज श्याम के पिता को ऑफिस ज्वाइन करना था! इसलिए सुबह - सुबह वो जल्दि उठकर तैयार हो गए. माँ भी किचन में काम कर रही थी. श्याम उठा और उदास मन से चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगा. पिताजी ने श्याम को देखा और बोले उदास मत हो मैं जल्दी ही तुम्हारा दाखिला नए स्कूल में करा दूंगा!
स्कूल घर से कुछ ही दूरी पर था इसलिए श्याम
पैदल ही स्कूल जाता था. रास्ते में एक पगडंडी मिलती थी, वहां से स्कूल थोड़ा पास पड़ता था, इसलिए श्याम उसी से स्कूल जाने लगा. एक दिन जब वह स्कूल जा रहा था तब सड़क किनारे एक पेड़ के नीचे एक कुत्ते का पिल्ला बैठा दिखा . श्याम उसे देख थोड़ी देर वही रुक गया और उसे देखता रहा, कुत्ते का पिल्ला भी उसे देख रहा था, फिर श्याम आगे बड़ गया. दूसरे दिन भी यही हुआ. तीसरे दिन जब श्याम स्कूल के लिए निकला तब रास्ते में एक छोटी सी दुकान मिली उसने वहां से एक बिस्किट का पैकेट लिया और तेजी से पगडंडी वाले रास्ते पर चल दिया, वो पिल्ला वही बैठा था, मानों वो भी श्याम का ही इंतजार कर रहा था. श्याम उसके पास गया और उसे दो- तीन बिस्किट खिलाये, फिर स्कूल चला गया. आते समय भी उसने यही किया!
अगले दिन श्याम फिर से बिस्किट ले कर आया और उसे खिला कर जाने लगा की तभी पिल्ला भी श्याम के साथ चल दिया. स्कूल तक गया और बाहर ही बैठ गया. श्याम जब स्कूल से छूटा तो उसने देखा वो पिल्ला वही बैठा उसकी राह देख रहा था, श्याम को देख वो भी उसके साथ चल दिया और उसी पेड़ के पास आ कर रुक गया. फिर श्याम ने उसे बिस्किट खिलाये और घर के लिए चल दिया!
अब तो रोज यही होता था! एक दिन श्याम उसके के लिए एक पट्टा लाया वो श्याम ने खुद ही बनाया था. श्याम ने वो पट्टा उसके गले में बाँध दिया और उसका एक नाम भी रखा "शेरू"!
कहानी- श्याम और शेरू की दोस्ती
अब तक शेरू और श्याम बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे. शेरू रोज श्याम का उसी पेड़ के नीचे इंतजार करता, श्याम रोज उसके लिए बिस्किट लाता और खिलाता, फिर शेरू श्याम को स्कूल छोड़ने के लिए उसके साथ स्कूल तक जाता, श्याम स्कूल के अंदर चले जाता और शेरू वही गेट के एक और बैठ कर उसका इंतजार करता. शाम को जब स्कूल की छुट्टी होने पर श्याम बाहर आता तब शेरू फिर उसके साथ पगडंडी के रास्ते पेड़ तक आ कर रुक जाता और श्याम उसे बिस्किट खिला कर घर की और चल देता. स्कूल के गेट पर बैठा चौकीदार रोज यही देखता और दोनों की दोस्ती देख मुस्करा देता!
इसी तरह साल भर बीत गया. अब श्याम सातवीं कक्षा में आ गया था और शेरू भी बड़ा हो रहा था. एक दिन श्याम रोज की तरह स्कूल के लिए निकला एक पैकेट बिस्किट का ख़रीदा और शेरू के पास जाने के लिए पगडंडी पर चल पड़ा, पर आज उस पेड़ के निचे शेरू नहीं था. यह देख श्याम बहुत परेशान हो गया और उसे इधर - उधर ढूँढ़ने लगा, कई आवाजे दी पर शेरू नहीं आया. श्याम बहुत परेशान और दुखी था, वो वही पर बहुत देर तक शेरू का इंतजार करता रहा पर शेरू उसे कही नहीं मिला. स्कूल के लिए बहुत देर हो रही थी, इसलिए धीरे- धीरे कदम बढ़ाते हुए वह स्कूल पहुंचा!
स्कूल के चौकीदार ने जब श्याम को अकेले आते देखा तो उससे पूछा अरे श्याम आज तुम्हारा दोस्त नहीं आया! बीमार है क्या ? यह सुनते ही श्याम रोने लगा! उसने बताया की शेरू आज वहां नहीं मिला , वो तो रोज उसी पेड़ के निचे बैठता है मैंने उसे बहुत ढूंढा बहुत आवाजे लगायी पर वह कही नहीं मिला, तभी चौकीदार को कुछ याद आया उसने श्याम को बताया कल शाम को कुत्तों को पकड़ने वाली गाड़ी घूम रही थी हो सकता है शेरू को भी वही लोग पकड़ कर ले गए हों. ये सुन कर श्याम बहुत दुखी हुआ. स्कूल से लौटते समय भी श्याम उसी पेड़ के नीचे बैठा रहा शेरू शेरू चिल्लाता रहा पर शेरू नहीं आया!
जब श्याम घर पहुंचा तो माँ उसकी हालत देख कर घबरा गयी, उन्होंने उससे पूछा क्या हुआ श्याम! श्याम माँ को देखते ही उनसे लिपटकर बहुत रोया! उसने माँ को बताया की शेरू कही भी नहीं मिल रहा है उसे कोई गाड़ी उठा कर ले गयी है!
माँ ने श्याम को बहुत समझाया पर श्याम रोता ही जा रहा था. वह दो- तीन दिन तक स्कूल भी नहीं गया!
माता- पिता के बहुत समझाने पर श्याम फिर स्कूल जाने लगा. कुछ दिनों तक श्याम को उसके पिता स्कूल छोड़ने गए ताकि श्याम सामान्य हो सके और शेरू को भूल सके. लेकिन श्याम अब भी स्कूल से लौटते समय उसी पेड़ के निचे बिस्किट रखता और शेरू शेरू आवाजे लगाता!
धीरे - धीरे समय बीतता गया, श्याम अब बड़ी कक्षा में आ गया था, इसलिए उसका दाखिला भी दूसरे स्कूल में करा दिया गया! अब तक श्याम अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गया था और शेरू की याद भी अब धुंधली हो गयी थी!
इस साल श्याम बारवी की परीक्षा दे रहा था, उसे खूब अच्छे नंबरों से पास होना था क्योकि वो डाँक्टर बनना चाहता था. इसलिए श्याम अब पूरी तरह से अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गया था!
हिंदी कहानी
एक दिन श्याम शाम को अपनी कोचिंग से घर लौट रहा था तभी दो बदमाशो ने उसकी गाड़ी को रोका. श्याम ने जैसे ही गाड़ी रोकी वो दोनों उसे मारने पीटने लगे और उसका सामान छीनने लगे वो चिल्लाया पर सड़क सूनसान थी. दूर दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए उसकी मदत के लिए कोई नहीं आया. श्याम ने उन लोगो का विरोध किया की तभी एक बदमाश ने चाकू निकाल लिया और श्याम पर हमला कर दिया पर तभी एक कुत्ता उस बदमाश के ऊपर कूदा और वो चाक़ू उस कुत्ते को लग गया! कुत्ता घायल हो गया था पर फिर भी उसने उन दोनों बदमाशों पर हमला कर उन्हें वहां से खदेड़ दिया और खुद वही पर गिर गया!श्याम हैरान था की ये कुत्ता अचानक कहाँ से आ गया उसकी जान बचाने के लिए! वो भाग कर उसके पास गया ये देखने के लिए की कही वो मर तो नहीं गया!
पास जाकर उसने देखा कुत्ते की साँसे चल रही थी, यह देख उसे तस्सली हुयी! पर तभी उसकी नजर कुत्ते के गले में बंधे पट्टे पर पड़ी वो जोर से चिल्लाया शेरू और उसे झट से अपनी गोद में उठा लिया!
हाँ यह शेरू ही था! श्याम तो उसे समय के साथ भूल गया पर शेरू उसे नहीं भूला और उस पर होने वाले हमले को अपने ऊपर ले लिया!
अब शेरू श्याम के साथ उसके घर पर ही रहता है और अब वह सिर्फ श्याम का ही नहीं बल्कि पूरे घर का लाडला हो गया है!
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