प्रभु यीशु मसीह से सम्बंधित कुछ घटनाएं
घटना -1) एक बार जब प्रभु, शिमोन (पतरस, प्रभु के 12 शिष्यों में से एक ) की नाव में दूसरी जगह जाने के लिए बैठे तब वहां उपस्थित सभी लोगों ने प्रभु से कहा, प्रभु हमें जीने का सही मार्ग दिखाए, हमें कुछ बताएं।
प्रभु ने कहा - दों व्यक्ति प्रार्थना करने मंदिर गए। एक धर्मगुरु और दूसरा चुंगी लेने वाला था। धार्मिक गुरु अलग खड़े होकर प्रार्थना करने
लगा - परमेश्वर मैं दूसरों की तरह लालची और व्यभिचारी नहीं। मैं आपका धन्यवाद करता हूँ की मैं इस चुंगी लेने वाला जैसा नहीं। सप्ताह में दो दिन उपवास रखता हूँ। आमदनी का दसवां अंश आपको चढ़ाता हूँ। परन्तु ,
लगा - परमेश्वर मैं दूसरों की तरह लालची और व्यभिचारी नहीं। मैं आपका धन्यवाद करता हूँ की मैं इस चुंगी लेने वाला जैसा नहीं। सप्ताह में दो दिन उपवास रखता हूँ। आमदनी का दसवां अंश आपको चढ़ाता हूँ। परन्तु ,
चुंगी लेने वाले ने बिना सर ऊपर उठायें चीख चीख कर कहा, हे परमेश्वर मुझ पापी पर दया करना। और यही चुंगी लेने वाला जो परमेश्वर से अपने पापों की क्षमा मांग रहा था। परमेश्वर की नजर में धर्मी ठहरा।
प्रभु ने आगे कहा की, तुम उस धर्मगुरु जैसे नहीं बल्कि उस चुंगी लेने वाला जैसे बनों। क्योकि जो अपने को बड़ा मानेगा उसे छोटा किया जायेगा और जो छोटा मानेगा वह ही परमेश्वर की नजर में बड़ा होगा।
घटना -2) - प्रभु जहाँ जहाँ जाते लोग उनके वचन सुनने के लिए उत्सुक रहते, वे उनकी शिक्षाओं से कुछ सीखना चाहते थे। एक बार जब बहुत भीड़ इकठ्ठी थी तब प्रभु ने लोगों के बीच आकर उदाहरण के द्वारा सबकों कुछ समझाने की कोशिश की।
प्रभु वचन : -
एक व्यक्ति जो बीज बोता था, बीज बोने निकला। बीज बोते हुए कुछ बीज मार्ग के किनारे गिरे और रौंद डाले गए, और पक्षियों ने उन्हें चुग लिया। कुछ बीज पथरीली भूमि पर गिरे, जब उगे तो पानी की कमी के कारण मुरझा गए। और कुछ बीज झाड़ियों के बीच गिरे परन्तु झाड़ियों ने साथ साथ बढ़ कर उन्हें दबा दिया। लेकिन जब कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे तो उन सभी पौधों ने उगकर फल दिए। प्रत्येक ने सौ गुना।
🌹उसके बाद प्रभु ने कहा, अब इस उदाहरण का अर्थ क्या हुआ। मैं तुम्हे उदाहरणों में इसलिए समझाता हूँ ताकि मैं जो भी शिक्षा देता हूँ उसे तुम पूरी तरह से समझ सको और ग्रहण कर सकों। आगे उन्होंने कहा इस उदाहरण का अर्थ ये है🌹:
बीज परमेश्वर का वचन है।
* मार्ग के किनारे गिरे बीज उन्हें दर्शाते है, जो वचन सुनते तो है पर शैतान आकर उनके मन से वचन चुरा लेता है, ताकि वे विश्वाश करके कही मुक्ति न पा ले।
* पथरीली भूमि पर गिरे बीज उन्हें दर्शाते है जो वचन सुनकर आनंद ग्रहण करते है पर जड़ नहीं पकड़ पाते। वे कुछ देर तक तो विश्वास करते है परन्तु परीक्षा की घड़ी आने पर टिक नहीं पाते।
* झाड़ियों में गिरे बीज उन्हें दर्शाते है, जो वचन सुनते है परन्तु जीवन की चिंताओं, धन, भोग - विलास में फंसने से उनके फल कभी भी नहीं पकते। और,
* वे बीज जो अच्छी भूमि पर गिरते है वे उन लोगों के प्रतीक है जो भले और आज्ञाकारी मन से उन्हें ग्रहण करते है और फलवन्त होने तक उन्हें संभाले रखते है।
अर्थात, जो कुछ छिपा है उसे बहार निकाला जायेगा है जो ढ़का है उसे ढूंढ कर प्रकाश में लाया जायेगा। इसलिए सचेत रहों की तूम कैसे सुनते हो।
घटना -3) : एक बार लोगों ने उनसे पूछा हमे सबके साथ कैसा आचरण करना चाहिए। तब प्रभु ने कहा एक अच्छे पडोसी की तरह।
एक मनुष्य यरुशलम से यरीहा जा रहा था, रास्ते में कुछ डाकुओं ने उस पर हमला किया, उसे लूट लिया और उसे मारपीट कर अधमरी हालत में छोड़कर वहां से भाग गए। कुछ देर बाद एक धर्मगुरु वहां से निकला उसे देख दूर से ही निकलकर चला गया। थोड़ी देर में एक पुरोहित वहां से निकला, उसने पास आकर उसे देखा और फिर चला गया। कुछ देर में एक दलित वहां से निकला। उसने जब उस व्यापारी की हालत देखी तो उसे दया आयी और वो उसके पास आया , उसके घांव पोछे और उसे अपनी सवारी पर लिटा कर पास के एक सराय में ले गया। उसकी मरहम पट्टी की उसकी सेवा की और जाते समय सराय के मालिक को कुछ पैसे देकर बोला की इस मुनष्य की देखभाल करना। जितना खर्चा आएगा मैं दे दूंगा। फिर वे आगे बोले अब बताओं उस व्यापारी से अच्छे पडोसी होने का फर्ज किसने निभाया।
तभी एक बच्ची बोली, उस दलित व्यक्ति ने, जिसने उस पर दया की और उसकी देखभाल की।
प्रभु बोले तब तुम भी एक अच्छे पडोसी की तरह व्यवहार किया करों।
घटना- 4) :- जब प्रभु tयीशु अपने शिष्यों के साथ येरुशेलम की और जा रहे थे तब जगह जगह भीड़ उनको देखने और उनके वचन सुनने को आतुर थी। इसलिए भीड़ प्रभु के साथ साथ चल रही थी। वही एक चुंगी लेने वाला जिसका नाम जकई था वह भी प्रभु के दर्शन करना चाहता था , परन्तु अत्यधिक भीड़ होने के कारण वह प्रभु यीशु को नहीं देख पा रहा था। आखिरकार वह एक पेड़ पर चढ़ गया। प्रभु के दर्शन कर अत्यधिक प्रसन्न था, कि तभी प्रभु यीशु की नजर उस पर पड़ी। उसे देखते ही यीशु ने हँसते हुए कहा, जकई जल्दी नीचे उतरों, आज हमें तुम्हारे घर में ही ठहरना है। (यह सुन वहां उपस्थित सभी लोग हैरान थे कि प्रभु जकई को कैसे जानते है। )
जकई यह सुनते ही कि प्रभु उसके घर ठहरेंगे उसकी ख़ुशी का तो ठिकाना नहीं रहा, वो जल्दी से पेड़ से उतरा और प्रभु के साथ साथ चलने लगा।
रात को जब जकई प्रभु और शिष्यों के साथ भोजन करने बैठा तब वो बेसुध सा लगातार प्रभु यीशु की और देख रहा था और प्रभु अपनी रोटी में से ही उसके हाथ में कोर दे रहे थे जिसे वे चुपचाप खा रहा था। मानों जकई को खुद का ही होश नहीं था।
खाना, खाते खाते ही वो बीच में बोला " सुनों सुनों, सब सुनों , मैंने तय कर लिया है की मैं अपना आधा धन गरीबों में बाँट दूंगा। जिससे भी मैंने ज्यादा चुंगी ली है उसे दुगनी लौटा दूंगा, कहते कहते वो उठा और अपनी सिक्कों की पोटली निकालकर उसमे से सबकों सिक्के बाँटने लगा। यह देख वहां उपस्थित सभी लोग हंस रहे थे, की तभी प्रभु यीशु बोले मैं ऐसे ही लोगो को खोजने और उनका उद्धार करने, उन्हें सही मार्ग दिखाने आया हूँ।
प्रभु यीशु ने कहा है जब तक कोई व्यक्ति मेरे वचनों को बाल मन से ग्रहण नहीं करेगा। वो परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।
प्रभु बोले तब तुम भी एक अच्छे पडोसी की तरह व्यवहार किया करों।
घटना- 4) :- जब प्रभु tयीशु अपने शिष्यों के साथ येरुशेलम की और जा रहे थे तब जगह जगह भीड़ उनको देखने और उनके वचन सुनने को आतुर थी। इसलिए भीड़ प्रभु के साथ साथ चल रही थी। वही एक चुंगी लेने वाला जिसका नाम जकई था वह भी प्रभु के दर्शन करना चाहता था , परन्तु अत्यधिक भीड़ होने के कारण वह प्रभु यीशु को नहीं देख पा रहा था। आखिरकार वह एक पेड़ पर चढ़ गया। प्रभु के दर्शन कर अत्यधिक प्रसन्न था, कि तभी प्रभु यीशु की नजर उस पर पड़ी। उसे देखते ही यीशु ने हँसते हुए कहा, जकई जल्दी नीचे उतरों, आज हमें तुम्हारे घर में ही ठहरना है। (यह सुन वहां उपस्थित सभी लोग हैरान थे कि प्रभु जकई को कैसे जानते है। )
जकई यह सुनते ही कि प्रभु उसके घर ठहरेंगे उसकी ख़ुशी का तो ठिकाना नहीं रहा, वो जल्दी से पेड़ से उतरा और प्रभु के साथ साथ चलने लगा।
रात को जब जकई प्रभु और शिष्यों के साथ भोजन करने बैठा तब वो बेसुध सा लगातार प्रभु यीशु की और देख रहा था और प्रभु अपनी रोटी में से ही उसके हाथ में कोर दे रहे थे जिसे वे चुपचाप खा रहा था। मानों जकई को खुद का ही होश नहीं था।
खाना, खाते खाते ही वो बीच में बोला " सुनों सुनों, सब सुनों , मैंने तय कर लिया है की मैं अपना आधा धन गरीबों में बाँट दूंगा। जिससे भी मैंने ज्यादा चुंगी ली है उसे दुगनी लौटा दूंगा, कहते कहते वो उठा और अपनी सिक्कों की पोटली निकालकर उसमे से सबकों सिक्के बाँटने लगा। यह देख वहां उपस्थित सभी लोग हंस रहे थे, की तभी प्रभु यीशु बोले मैं ऐसे ही लोगो को खोजने और उनका उद्धार करने, उन्हें सही मार्ग दिखाने आया हूँ।
प्रभु यीशु ने कहा है जब तक कोई व्यक्ति मेरे वचनों को बाल मन से ग्रहण नहीं करेगा। वो परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।
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