भारतीय संविधान से आप क्या समझते है/Bhartiy Samvidhan se aap kya samajhte hai.
गणतंत्र दिवस आते ही एक सवाल मन में आता है की गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है। उत्तर है 26 जनवरी 1950 में हमारा संविधान लागु हुआ था। इसलिये गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।
अब सवाल आता है की संविधान क्या है, संविधान का अर्थ क्या है, हमें संविधान की आवश्यकता क्यों पड़ी। भारतीय संविधान का निर्माण कैसे हुआ।
हम यहां इन्ही सवालों के जवाब जानने का प्रयास करेंगे।
भारतीय संविधान क्या है / samvidhan kya hai in hindi/ हमें संविधान की आवश्यकता क्यों पड़ी/संविधान का अर्थ क्या है:–
हमारा संविधान नियमों एवं कानूनों का वह लिखित संग्रह है जिसके तहत न्यायपालिका एवं कार्यपालिका की व्यवस्था संचालित होती है। देश का शासन सुचारू रूप से चलता है एवं जो देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों एवं उनके हितों की न सिर्फ रक्षा करता है बल्कि देश के नागरिकों को देश के प्रति उनके मौलिक कर्तव्यों का बोध भी कराता है।
देश का संविधान सर्वोपरि होता है। इसका सम्मान करना हमसब का कर्तव्य है, तभी राष्ट्र एवं नागरिकों का सर्वांगीण विकास हो सकता है।
भारतीय संविधान का निर्माण कैसे हुआ:-
संविधान निर्माण से संबंधित मुख्य बिंदु:-
- संविधान के निर्माण के लिए कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर संविधान सभा का गठन सन् 1946 में किया गया।
- केबिनेट मिशन क्या है:- ब्रिटिश मंत्रिमंडल के तीन सदस्यों की एक टीम 24 मार्च 1946 में भारत के संवैधानिक समस्याओं के समाधान के लिए भेजी गयी थी, जिसे केबिनेट मिशन के नाम से जाना जाता है।
- जुलाई 1946 ई. में संविधान सभा का चुनाव हुआ।
- संविधान सभा के लिए कुल 389 सदस्यों की संख्या निश्चित की गयी थी, जिनमे से प्रांतों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के लिए चुनाव हुए थे।
- 9 दिसम्बर 1946 में संविधान सभा की प्रथम बैठक नई दिल्ली स्थित कौंसिल चैम्बर के पुस्तकालय भवन में हुई थी। जिसमे डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया।
- संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष के रूप में 11 दिसम्बर 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को चुना गया , जो की बाद में भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने।
- संविधान सभा की कार्यवाही 13 दिसम्बर 1946 को जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव से प्रारंम्भ हुई।
- संविधान सभा ने संविधान निर्माण में आने वाली विभिन्न समस्याओं से निपटने के लिए कई समितियों का गठन किया। जैसे- संघीय संविधान समिति, प्रांतीय संविधान समिति, प्रारूप समिति, संघीय शक्ति समिति, वार्ता समिति, अनुसूचित जाती और जनजाति समिति, अल्पसंख्यक समिति आदि।
- 29 अगस्त 1947 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए एक प्रारूप समिति का गठन किया गया, जिनमे कुल 7 सदस्य थे। जो इस प्रकार थे 1) डॉ. भीमराव अम्बेडकर , 2) एन. गोपाल स्वामी आयंगर, 3) अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर , 4) कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, 5) सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला, 6) एन. माधव राव (बी.एल. मित्र के स्थान पर ), 7) डी. पी. खेतान (1948 में इनकी मृत्यु के बाद टी. टी. कृष्णमाचारी को सदस्य बनाया गया)।
- विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन किया गया। 31 दिसम्बर 1947 को संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 299 थी।
- प्रारूप समिति ने संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श करने के बाद 21 फरवरी 1948 ई. को संविधान सभा को अपनी रिपोर्ट पेश की।
- 26 नवम्बर 1949 को संविधान निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया। अतः 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान पारित कर दिया गया।
- 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई, और सदस्यों द्वारा संविधान पर हस्ताक्षर किये गए। और उसी दिन संविधान सभा द्वारा डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।
- 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हो गया या प्रभावी हो गया।
- संविधान को पूर्ण रूप से तैयार करने में 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन का समय लगा।
- संविधान निर्माण में कुल 63,96,729 रु. व्यय हुए।
- जब संविधान बना था तब उसमे 395 अनुच्छेद, 22 भाग, 8 अनुसूचियां थी।
- वर्तमान में 470 अनुच्छेद, 25 भाग, 12 अनुसूचियां है।
- भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
संविधान की प्रस्तावना/ samvidhan ki prastavna:-
जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य संकल्प में जो आदर्श प्रस्तुत किया गया उन्हें ही संविधान की उद्देशिका/ प्रस्तावना में शामिल किया गया।
संविधान में 1976 में 42वें संशोधन के बाद संशोधित प्रस्तावना निम्न प्रकार है :-
" हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति,विश्वास, धर्म और उपासना कि स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता
प्राप्त करने के लिये तथा उन सब में
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की
एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए।
दृढ़-संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर, 1949 ई. " मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते है।"
(लूसेंट सामान्य ज्ञान से लिया गया है। )
प्रस्तावना कि मुख्य बातें:-
- 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 के द्वारा इसमे समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और राष्ट्र की अखण्डता शब्द जोड़े गए।
- संविधान की प्रस्तावना को ' संविधान की कुंजी' कहा जाता है।
- प्रस्तावना में लिखित शब्द यथा- "हम भारत के लोग .........इस संविधान को " अंगीकृत अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।" भारतीय लोगों की सर्वोच्च सम्प्रभुता का उद्घोष करते है।
भारतीय संविधान की अनुसूची:-
- प्रथम अनुसूची:- इसमे भारतीय संघ के घटक राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों का उल्लेख है।
- द्वितीय अनुसूची :- इसमे भारतीय राज-व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष , राज्यसभा के सभापति एवं उपसभापति, विधानसभा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति एवं उपसभापति, उच्चतम न्यायलय और उच्च न्यायलयों के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक ) को प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन आदि का उल्लेख किया गया है।
- तृतीय अनुसूची :- इसमे विभिन्न पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्री, उच्चतम एवं उच्च न्यायलय के न्यायाधीशों ) द्वारा पद-ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है।
- चौथी अनुसूची :- इसमे विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों की राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है।
- पांचवी अनुसूची:- इसमे विभिन्न अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजाति के प्रशासन और नियंत्रण का उल्लेख।
- छठी अनुसूची:- इसमे असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान है।
- सातवीं अनुसूची : इसमें केंद्र एवं राज्यों की बीच शक्तियों के बँटवारे के बारे में बताया गया है। इसके अंतर्गत 3 सूचियाँ है।- 1) संघ सूची 2) राज्य सूची एवं समवर्ती सूची।
- 1) संघ सूची :- इस सूची में दिए गये विषय पर केंद्र सरकार कानून बनाती है।
- 2) राज्य सूची :- इस सूची में दिए गए विषयों पर राज्य सरकार कानून बनाती है। राष्ट्रीय हित से संबंधित विषय होने पर केंद्र सरकार भी कानून बना सकती है।
- 3) समवर्ती सूची:- इसके अंतर्गत दिए गये विषय पर केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती है है परन्तु कानून का विषय समान होने पर केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून मान्य होगा।
- आठवीं अनुसूची:-इसमे भारत की 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है। मूल रूप से आठवीं अनुसूची में 14 भाषाएँ थीं।
- 1. 1967 ई. 21वां संशोधन में सिंधी भाषा को, 1992 ई. 71वां संशोधन में कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली को और 2003 ई. 92वाँ संशोधन में मैथिली, संथाली, डोगरी एवं बोडो को 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया।
- नौवीं अनुसूची:- संविधान मे यह अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 के द्वारा जोड़ी गई। इसमे राज्य द्वारा सम्पत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है। इस अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायलय में चुनौती नही दी जा सकती है।
- दसवी अनुसूची :- यह संविधान में 52वें संशोधन, 1985 के द्वारा जोड़ी गई है। इसमे दल- बदल से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख है।
- ग्यारहवीं अनुसूची:- संविधान में 73वें संवैधानिक संशोधन 1993 के द्वारा जोड़ी गयी है। इसमें पंचायतीराज संस्थाओं को कार्य करने के लिए 29 विषय प्रदान किये गए।
- बारहवीं अनुसूची:- यह अनुसूची संविधान में 74वें संवैधानिक संशोधन 1993 के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को कार्य करने के लिए 18 विषय प्रदान किये गए है।
भारतीय संविधान/ मौलिक अधिकार :-
- संविधान के भाग-3 में (अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35) आते है।
- संविधान के भाग-3 को भारत का अधिकार पत्र (Magnacarta) कहा जाता है। इसे मूल अधिकारों का जन्म दाता भी कहा जाता है।
- मूल संविधान में 7 मौलिक अधिकार थे। 44वां (1978) संविधान संशोधन के द्वारा सम्पत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31 व् 19क) को मौलिक अधिकार की सूचि से हटा दिया गया। एवं अनुच्छेद 300(a) के अंतर्गत क़ानूनी अधिकार के रूप में रखा गया है।
- मौलिक अधिकारों में संशोधन हो सकता है।
- राष्ट्रिय आपात के समय जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को छोड़कर अन्य मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है।
- 1. समता या समानता का अधिकार (अनु. 14 से 18).
- 2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 19 से 22).
- 3. शोषण के विरूद्ध अधिकार (अनु. 23 से24).
- 4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 25 से 28).
- 5. संस्कृति और शिक्षा संबन्धी अधिकार (अनु. 29 से 30).
- 6. संवैधनिक उपचारों का अधिकार (अनु. 32)
मौलिक कर्तव्य :-
- प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा की वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करें।
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोय रखे एवं उनका पालन करें।
- भारत की प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे।
- देश की रक्षा करे।
- भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे।
- हमारी सामासिक संस्कृति और गौरवशाली परम्परा का महत्तव समझे और उसका परिरक्षण करें।
- प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करे।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करें।
- सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे।
- व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की और बढ़ने का सतत् प्रयास करे। ।
- माता पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों हेतु प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना। (86वाँ संशोधन).
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