Chandrgupt morya ka etihas in hindi /chandra gupt morya history/bindusar
मौर्य काल नोट्स/ mory kal Notes
मौर्य साम्राज्य:-
- मौर्य साम्राज्य की जानकारी निम्न स्रोतों से प्राप्त होती है।
1) अर्थशास्त्र (चाणक्य द्वारा लिखित)
2) मुद्राराक्षस (विशाखदत्त कृत)
3) इण्डिका (मेगास्थनीज द्वारा लिखित)
4) बौद्ध एवं जैन ग्रन्थ
5) अशोक के अभिलेख द्वारा
6) रूद्रदमन के जूनागढ़ अभिलेख।
चन्द्रगुप्त मौर्य:-
- मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य था।
- चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ईसा पूर्व में हुआ था। चन्द्रगुप्त के वंश से संबंधित भिन्न भिन्न मत है। जैन और बौद्ध ग्रन्थो में इसे क्षत्रिय एवं पुराणों में शुद्र बताया गया है। कुछ प्रमाणों के आधार पर यह माना जाता है की यह मोरिय वंश का क्षत्रिय था।
- जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य को "सेन्ड्रोकोट्टस" कहा था। जिसकी पहचान विलियम जोन्स ने चन्द्रगुप्त मौर्य से की थी ।
- विशाखदत्त कृत मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए वृषल (जिसका अर्थ है- निम्न कुल में उत्तपन्न ) शब्द का प्रयोग किया है।
- मगध के शासक घनानन्द को हराकर चन्द्रगुप्त ने मौर्य वंश की स्थापना की थी।
- चन्द्रगुप्त मगध की गद्दी पर 322 ईसा पूर्व में बैठा।
- घनानन्द को हराने में चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य की मदद की थी। चाणक्य को कौटिल्य, विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों में इन्हे द्विजर्षभ (श्रेष्ठ ब्राह्मण ) कहा गया है
- चाणक्य, चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमन्त्री थे। ।
- चाणक्य द्वारा लिखित पुस्तक अर्थशास्त्र है। जिसका संबंध राजनीती से है। ये तक्षशिला के आचार्य थे।
- एक बार चाणक्य का मगध नरेश घनानंद के दरबार में घनानंद ने अपमान किया था। तब चाणक्य ने यह प्रतिज्ञा ली थी की वह घनानंद का समूल नाश करेगा और मगध की गद्दी पर एक ऐसे राजा को बिठाएंगा, जो उनके अखंड भारत के सपने को पूरा करेगा। उसके बाद उनकी नजर एक ऐसे बालक पर पड़ती है जिसमे वो उन सभी गुणों को पाते है जो एक योग्य राजा में होने चाहिए। उस बालक का नाम था चन्द्रगुप्त मौर्य। चाणक्य उसे ताक्षशिला में शिक्षित करते है।
- चन्द्रगुप्त मौर्य पहली बार मगध पर सीधे आक्रमण कर देता है और पराजित हो जाता है, इस बात की पुष्टि बौद्ध ग्रन्थ (महाबोधिवंश) एवं जैन ग्रन्थ (परिशिष्टपर्वन) से होती है।
- दूसरी बार मगध पर सीधे आक्रमण न करते हुए, एक तरफ से (उत्तर पश्चिम से) आक्रमण करता है और पंजाब, सिंध पर विजय प्राप्त कर लेता है , उसके बाद चन्द्रगुप्त मौर्य मगध पर आक्रमण कर मगध नरेश घनानन्द को हराता है और आचार्य चाणक्य के सहयोग से मगध की गद्दी पर आसीन होता है।
- चन्द्रगुप्त मौर्य ने गद्दी पर बैठने के बाद अपने साम्राज्य का तेजी से विस्तार किया। मगध साम्राज्य जो पूर्व में गंगा के मैदानों से (आधुनिक बिहार और बंगाल का क्षेत्र ) शुरू हुआ था। चन्द्रगुप्त मौर्य ने शासक बनने के बाद उसे पश्चिम क्षेत्र की और तेजी विस्तृत किया। इसके लिए उसने छोटे छोटे राज्यों जिनमे आपस में मतभेद था उसका फायदा उठाया और इस तरह उत्तर पश्चिम भारत पर अधिकार जमा लिया।
- सिकन्दर की मृत्यु के बाद सेल्यूकस निकेटर उसका उत्तराधिकारी बना, उसने भारत पर पुनः आक्रमण किया। चन्द्रगुप्त मौर्य ने 305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस निकेटरस को युद्ध में हराया। तब सेल्युकस निकेटर ने अपनी पुत्री हेलेना का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ कर दिया और युद्ध की सन्धि- शर्तों के अनुसार चार प्रान्त काबुल, कन्धार, हेरात एवं मकरान चन्द्रगुप्त को दे दिए।
- समय के साथ साथ चन्द्रगुप्त मौर्य का विशाल साम्राज्य उत्तर पश्चिम में ईरान से लेकर पूर्व में बंगाल तक तथा उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक तक विस्तृत हो गया था।
- मेगास्थनीज़ सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था, जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहता था।
- मेगास्थनीज द्वारा लिखी गयी पुस्तक इण्डिका है।
- मेगास्थनीज ने चन्द्रगुप्त मौर्य का वर्णन इस प्रकार किया है मेगास्थनीज के अनुसार- सम्राट का जनता के सामने आने के अवसरों पर शोभा यात्रा के रूप में जश्न मनाया जाता है, उन्हें एक सोने के पालकी में ले जाया जाता है। उनके अंगरक्षक सोने और चाँदी से सजे हाथियों पर सवार रहते है । कुछ अंगरक्षक पेड़ों को लेकर चलते है। इन पेड़ों पर प्रशिक्षित तोतों का झुण्ड रहता है जो सम्राट के सिर के चारों और चक्कर लगाते रहते है। राजा सामान्यतः हथियारबन्द महिलाओं से घिरे रहते है। चन्द्रगुप्त मौर्य के खाना खाने के पहले खास नौकर उस खाने को चखतेहै। वे लगातार दो रात एक ही कमरे में नहीं सोते है।
- पाटलिपुत्र के बारे में बताया है की- पाटलिपुत्र एक विशाल प्राचीर से घिरा है। जिसमे 570 बुर्ज और 64 द्वार है। राजा का महल काठ का बना है, जिसे पत्थर की नक्काशी से अंलकृत किया गया है और महल चारों और से उद्यानों एवं चिड़ियों के बसेरों से घिरा है। यहां जो घर है वो दो या तीन मंजिल लकड़ी या ईटों के बने है।
- चन्द्रगुप्त मौर्य एवं सेल्यूकस निकेटर के बीच हुए युद्ध का वर्णन एप्पियानस ने किया है।
- प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार में दिए थे।
- चन्द्रगुप्त मौर्य जैन धर्म का अनुयायी था। उन्होंने जैनी गुरु भद्रबाहु से जैन धर्म की दीक्षा ली थी।
- चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 298 ईसा पूर्व में श्रवणबेलगोला में सलेखना उपवास के द्वारा हुई थी।
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बीन्दुसार:-
- बिन्दुसार, चन्द्रगुप्त मौर्य का पुत्र था, चन्द्रगुप्त के बाद यह उसका उत्तराधिकारी बना।
- इनकी माता का नाम दुर्धरा था । एवं इनकी पत्नी का नाम सुभद्रांगी था।
- बिन्दुसार 298 ईसा पू. में मगध की गद्दी पर बैठा।
- वह आजीवक सम्प्रदाय का अनुयायी था।
- बिन्दुसार को पिता का पुत्र और पुत्र का पिता भी कहा जाता है। क्योकि बिन्दुसार का पिता महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य था और उनका पुत्र महान सम्राट अशोक था जो की एक प्रतापी राजा हुआ।
- बिन्दुसार को अमित्रघात के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है- शत्रु विनाशक। 'वायुपुराण के अनुसार बिन्दुसार को भद्रसार या वारिसार कहा गया है, एवं जैन ग्रन्थ राजवलिकथे में बिन्दुसार को सिंहसेन कहा गया है।
- यूनानी इतिहासकार उसे अमित्रोचेट्स के नाम से पुकारते थे।
- बिन्दुसार ने अपने राज्य को दक्षिण की और बढ़ाया। उसका विजय अभियान कर्नाटक के आसपास जाकर रुका।
- स्ट्रैबो के अनुसार सीरियन नरेश एंटियोकस ने बिन्दुसार के दरबार में डाइमेकस नाम का राजदूत भेजा था।
- डाइमेकस ही मेगास्थनीज का उत्तराधिकारी माना जाता है।
- बिन्दुसार के शासन काल में तक्षशिला में हुए दो विद्रोहों का वर्णन है। इस विद्रोह को दबाने के लिए बिन्दुसार ने पहले सुसीम को भेजा। और उसके बाद अशोक को भेजा विद्रोह शांत करने के लिए।
- एथिनिय के अनुसार बिन्दुसार ने सीरिया के शासक एंटियोकस-I से मदिरा, सूखे अंजीर एवं एक दार्शनिक भेजने की प्रार्थना की थी।
- बौद्ध विद्वान् तारानाथ ने बिन्दुसार को 16 राज्यों का विजेता बताया है।
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