RBI Monetary Policy
- रेपो रेट 4 फीसदी पर ही बरकरार रहेगा।
- रिवर्स रेपो रेट 3.5 फीसदी ही रहेगा ।
- मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट और बैंक रेट 4.25 फीसदी रहेगा।
- इसके पहले दिसम्बर में हुई बैठक में भी भारतीय रिजर्व बैंक ने पॉलिसी दरों में बदलाव नहीं किया था।
- वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए GDP ग्रोथ 7.8 फीसदी रहने का अनुमान है।
- e-RUPI की लिमिट बढ़ा दी गई है।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने जानकारी दी की प्रीपेड ई- वाउचर e-RUPI की लिमिट को बढ़ाकर रु. 10 हजार से रु. 1 लाख तक कर दिया गया है। e-RUPI, digital payment के लिए एक कैशलेस और कॉन्टेक्टलैस साधन है जो की एक क्यू आर कोड (QR Code) या SMS बेस्ड ई-वाउचर है। इसे लाभार्थियों के मोबाईल पर पहुंचाया जाता है।
रेपो रेट क्या होता है:-
अल्पकालीन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जिस ब्याज दर पर RBI से बैंक कर्जा लेते है उसे रेपो रेट कहते है। इसे ऐसे समझे, की जब कोई भी बैंक किसी को कर्ज देता है तो उस कर्ज (लोन) पर ब्याज लेता है। उसी तरह बैंक को भी अपने रोजमर्रा के कार्य के लिए कर्ज की आवश्यकता पड़ती है तो वो RBI से कर्ज लेते है इस कर्ज या ऋण पर RBI जिस दर से बैंक से ब्याज वसूल करते है, वही रेपो रेट कहलाता है।
रिवर्स रेपो रेट क्या होता है:-
रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट का उल्टा होता है। इसमे बैंक अपनी बची हुई रकम को RBI के पास रख देता हे और RBI इस बची हुई रकम पर बैंक को ब्याज देता है। RBI इस बची हुई रकम पर जिस दर से ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहते है।
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