गणेश चतुर्थी - कविता

Ganpati bappa

🎆भक्त -प्रभु संवाद 🎆
🎇🎇भक्त🎇🎇
" हाथों में मोदक थाल लिये,
प्रभु भक्त, प्रभु से विनती करे !
हमें ज्ञान की राह दिखा देना
जीवन से अंधकार मिटा देना !"
🎇🎇प्रभु🎇🎇
"हे भक्त तू मुझकों प्यारा है
पर छल-छिद्र मुझें नहीं भाता है !
निश्छल-निर्मल मन को पा ले
निर्मल मन से मुझकों ध्या ले !
तेरे कष्ट सभी हर जाऊंगा
आशीष खूब बरसाऊंगा !
जो ज्ञान ये आत्मसात करें
तो अगले बरस फिर आऊंगा !
विनती जितनी भी है तेरी
सब पूरी करके जाऊंगा !
Blogger Comment
Facebook Comment