गुरु पूर्णिमा 2021
(Guru Purnima)
गुरु पूर्णिमा 2021 कब है/ Guru Purnima 2021 kab hai :-
गुरू के सम्मान का दिन है, गुरु पूर्णिमा, जो कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है इस वर्ष भी गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई 2021 को मनाई जाएगी।
गुरु, यह वह संबोधन है जिसे सुनते ही हमारा सिर आदर से अपने गुरु के समक्ष झुक जाता है क्योंकि गुरु ही वह ज्ञान के सागर है जो अपने ज्ञान के प्रकाश से सदैव हमारा पथ प्रदर्शन करते है और हमे सही राह दिखाते है। इसीलिए इस दिन सभी लोग अपने गुरु की पूजा करते हैं सम्मान करते हैं।🙏🙏🙏🙏
कबीर दासजी कहते है :-
🕉️ गुरू गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए।। 🕉️
🕉️ गुरू बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष।
गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मिटै न दोष।। 🕉️
"अर्थात, गुरु, गोविंद दोनों एक साथ खड़े हो तो प्रथम चरण वंदना किसकी करें। गुरु की या गोविंद की। ऐसी स्थिति में गुरु के समक्ष शीश झुकाना चाहिए क्योंकि उनकी कृपा से ही गोविंद तक पहुंचने का मार्ग मिला है।
अतः गुरू का स्थान भगवान से भी पहले हैं क्योंकि उनकी ही कृपा से हम ईश्वर का साक्षात्कार करने योग्य बन सकते हैं।"
🕉️ गुरू बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष।
गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मिटै न दोष।। 🕉️
"अर्थात, हे संसार के प्राणियों गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है मनुष्य अज्ञानतावश सांसारिक मोह माया में जकड़ा रहता है गुरु ही उसे मोक्ष का द्वार दिखाता है। सत्य और असत्य का ज्ञान प्रदान करता है, अतः गुरु के बिना मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है"
गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही क्यों मनाई जाती है:-
लगभग 3000 वर्ष पूर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। जिन्हें समस्त मानव जाति का गुरू माना जाता है, अतः गुरू पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेद व्यास के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। महर्षि वेद व्यास जी द्वारा चारों वेद, उपनिषद, महाभारत, श्रीमद्भभागवत जैसे अठारह पुराणों की रचना की गई, अतः उन्हीं के सम्मान में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।
गुरू पूर्णिमा के दिन आश्रमों , मठों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है, साधु, संतों, गुरूजनों की मूर्ति, पादुका, समाधि की पूजा की जाती है कई लोग अपने पूर्व दिवंगत गुरु की विधिवत पूजा भी करते हैं।
पुराणों के अनुसार ब्रह्मांड के प्रथम गुरु भगवान शिव को माना जाता है इसीलिए भगवान शिव को आदि गुरु के नाम से भी जाना जाता है।
सभी के जीवन मे कोई न कोई गुरु अवश्य होता है जो अपने ज्ञान पूुंज के तीव्र प्रकाश से सदैव हमारा मार्ग प्रशस्त करता है। गुरू कोई भी हो सकता है। फिर वह चाहे कोई संत महात्मा हो, माता-पिता हो या कोई शिक्षक हो, जो हमेशा हमे सही राह दिखाते हो। इस दिन उन सबके प्रति कृतज्ञता अवश्य अभिव्यक्त करना चाहिए।
एक शिशु जब संसार में आता है तब उसके माता-पिता ही उसके प्रथम गुरु होते हैं क्योंकि वह बालक सिर्फ उनकी उंगली पकड़कर चलना ही नही सीखता बल्कि उसे अपने माता-पिता से ही शब्दों का बोध, भाव का बोध होता है तभी तो नन्हा सा बालक अपने टूटी फूटी भाषा में ही अपनी बात अपने माता-पिता को समझा पाता है इसीलिए तो कहा जाता है कि घर ही प्रथम पाठशाला होती है अतः माता-पिता सिर्फ जन्मदात ही नहीं बल्कि हमारे जीवन के सबसे बड़े गुरु होते हैं।
आगे चलकर वही बालक सारी दुनिया से कंधे से कंधा मिलाकर चल सके, गर्व से सिर उठाकर आसमान की ओर देख सके, अपनी मंजिल को पा सके इसके लिए गुरु ही तो है जो अपने ज्ञान रूपी सागर में उसे डुबकी लगवाकर उस किनारे तक ले जाते हैं जहां उसकी वह मंजिल होती है जहां वह पहुंचना चाहता है इसीलिए गुरु सर्वदा ही पूजनीय है।
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह सवेरे स्नान करके सर्वप्रथम भगवान की पूजा करें एवं उसके बाद अपने गुरु की पूजा करें, उन्हें उपहार दें, उनका सम्मान करें तो सदैव आपके गुरु की कृपा आप पर बनी रहेगी।
🙏 गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं 🙏
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