शहीद दिवस | Shahid divas


शहीद दिवस : महान बलिदानी भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु के बलिदान को  समर्पित



शहीद  दिवस क्यों मनाया जाता है :-


23 मार्च का दिन शहीद दिवस (Martyr's Day) के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भारत मां के तीन वीर सपूतों भगत  सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को फांसी पर  चढ़ा दिया गया था। उनका दोष इतना ही था की वे अपनी भारत मां को परतंत्र की बेड़ियों से मुक्त कराना चाहते थे। वे उन लोगों से बदला लेना चाहते थे जो भारतीयों पर अत्याचार कर रहे थे। 

इन तीनों ने बहुत कम आयु में ही अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए हंसते हंसते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया और कई युवाओं को प्रेरणास्त्रोत बनकर उन्हे भी स्वतंत्रता की इस लड़ाई में सहयोग देने के लिए प्रेरित किया। 


भारत मां के ऐसे वीर सपूतों को याद कर उन्हे श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से ही 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाते है। ताकि हम उन शहीदों को नमन कर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर सके जिनकी वजह से आज हम स्वतंत्र भारत में खुल के सांस ले रहे है। 


भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु 
image by Wikimedia.org


भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी क्यों दी गई थी:- 

-  3 फरवरी 1928 में साइमन कमीशन भारत आया। इसे वाइट मैन कमीशन भी कहा गया। 

-  30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध प्रदर्शन किया गया। जिसमे पुलिस की लाठी से लाला लाजपत राय को गहरी चोट आई और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। 

- लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद भगत  सिंह,  राजगुरु और सुखदेव थापर और अन्य लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई। 

-  राजगुरु चंद्रशेखर आजाद से बहुत ज्यादा प्रभावित थे। इसलिए उनकी पार्टी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक आर्मी से जुड़ गए। 

-  चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, यतिंद्रनाथ दास  ये सभी क्रांतिकारी राजगुरु के अच्छे मित्र थे। राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज भी थे। 

-  लाला लाजपत राय की मौत से आहत भगत सिंह ने सुखदेव थापर के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना बनाई थी। 

-  और 17 दिसंबर 1928 को भगत सिंह के नेतृत्व में पंजाब के क्रांतिकारियों ने लाहौर के तत्कालीन सहायक पुलिस कप्तान साण्डर्स को गोली मार दी।  

-  साण्डर्स की हत्या में राजगुरु ने सुखदेव और भगत सिंह का पूरा सहयोग किया। और चंद्रशेखर आजाद ने इन तीनों को सामरिक सुरक्षा प्रदान की। 

- "पब्लिक  सेफ्टी बिल" पास होने के विरोध में 8 अप्रैल 1929 को बटुकेश्वर दत्त एवं भगत सिंह ने दिल्ली में सेंट्रल लेजिस्लेटिव  असेंबली में खाली बैंचों पर बम फेंका। क्रांतिकारियों ने अपने पर्चे में लिखा  था की उनका मकसद किसी की जान लेना नही बल्कि बहरों को सुनना है। इसके बाद उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया।

-  जेल में रहने के दौरान उन्होंने विदेशी मूल के कैदियों के लिए बेहतर इलाज दिए जाने की नीति के विरोध में भूख हड़ताल भी की थी। 

-  भगत सिंह से पूछताछ में पता चला कि एक साल पहले हुई  जॉन साण्डर्स की हत्या में उनका हाथ था। 

-  सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरु पर हत्या का आरोप लगाया गया। और 23 मार्च 1931 को सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरु को फांसी पर लटका दिया गया। जिसेे उन्होंने हंसते हंसते स्वीकार लिया। 


SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment