गणतंत्र दिवस - कविता







गणतंत्र दिवस के शुुुभ अवसर पर,
जब शान से लहराता हूँ मैं
सर गर्व से अपना ऊँचा कर ,
जग को ये गान सुनाता हूँ मैैं

उस लोकतंत्र का प्रतीक हूँ मैं ,
जहाँ भिन्न धर्म भिन्न जाती है
उस लोकतंत्र का प्रतीक हूँ मैं ,
जहां कई भाषा बोली जाती है

मेरा देश अनेक रंगों  से रंगा ,
भिन्न संस्कृतियों का यहाँ है, मेला
पर हर शख्स के सर का ताज हूँ मैं ,
हर भारतीय का स्वाभिमान हूँ मैं 

उत्तर से लेकर दक्षिण तक,
पूर्व से लेकर पश्चिम तक ,
हर जगह  परचम लहराता हूँ  मैं
हर एक हिंदुस्तानी के दिल में ,
अपना एक घर बनाता हूँ मैं 

अब तक तुम मुझकों जान गए ,
मैं जानता हूँ पहचान गये,
पर अपना नाम बताता हूँ मैं 
जिस देश को कहते, भारत माता ,
उस देश का तिरंगा कहलाता हूँ मैं ,
उस देश का तिरंगा कहलाता हूँ मैं 

जय हिन्द









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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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