सिंगल यूज़ प्लास्टिक - बैन/ Single use plastic- Ban


प्रतिबंधित की गयी  सिंगल यूज़ प्लास्टिक :-


15 अगस्त 2019 देश का 73वां स्वतंत्रता दिवस (Independence day) । लालकिले के प्राचीर से प्रधानमंत्री का देश को सम्बोधन । जिसमे एक घोषणा "देश को सिंगल यूज़ प्लास्टिक मुक्त बनाना", साथ ही साथ  सभी देशवासियों से अपील की वो  सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल करना बंद कर  दें। इसकी शुरुआत राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती अर्थात 02 अक्टूबर 2019 से की जायेगी।

पिछले कुछ समय से हमारे देश में स्वछता अभियान की गूंज हर जगह सुनाई दे रही है। इसी के तहत पिछले कुछ वर्षों से 2 अक्टूबर से पहले "स्वछता ही सेवा अभियान"  नाम से एक अभियान चलाया जाता है। इस बार यह अभियान 11 सितम्बर से 02 अक्टूबर 2019 तक चलाया गया। जिसमें देश को सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्त करने पर विशेष जोर दिया गया

02 अक्टूबर 2019 से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है।  प्रधानमंत्री द्वारा 2022 तक भारत को सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया  है।

इस संकल्प को पूरा करने की दिशा में कार्य करते हुए  सड़क परिवहन मंत्रालय से जुड़े सभी विभागों और सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है।

रेलवे स्टेशनों तथा ट्रेनों में भी 2 अक्टूबर से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगा दिया गया है।

इसी तरह कई जगहों पर सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बैन कर दिया गया है ।

अब सवाल ये उठता है की आख़िरकार "सिंगल यूज़ प्लास्टिक से क्या अभिप्राय है? क्या सभी प्रकार की प्लास्टिक पर बैन लग गया। इस तरह के कई सवाल है ?


इसे हम ऐसे समझे।  40 माइक्रान या 40 माइक्रान से कम की प्लास्टिक  सिंगल यूज़ प्लास्टिक में आती है। अर्थात एक बार यूज़ के बाद जिसे दुबारा यूज़ नहीं किया जा सके।  जैसे -1) प्लास्टिक की पॉलीथिन - आप-हम, सभी ये अच्छी तरह से जानते है की अगर हम बाजार में कोई सामान खरीदने जाते है फिर चाहे वो सब्जी हो या कोई अन्य सामान, दुकानदार उसे एक पॉलीथिन में हमे दे देता है । 2) बाजार में चाय भी प्लास्टिक के छोटे छोटे कप या गिलास में दी जाती है। इसी तरह शादियों  एवं अन्य समारोह में भी आजकल प्लास्टिक या थर्मोकांल की प्लेटे, चम्चे उपयोग में लाये जाते है। 3) अक्सर लोग ऑफिसों में या सफर के समय प्लास्टिक की पानी की बोतल  का इस्तेमाल करते है क्योकि वो आसानी से उलब्ध  हो जाती है ।  4) स्ट्रा जिसे हम जूस, शीतल पेय  आदि पीने के लिए यूज़ कर फेक देते है। 5) आजकल पानी के  पाउच  का चलन बहुत ही  तेजी से बढ़ रहा है,  इन सभी का हम एक बार इस्तेमाल करते है और दुबारा यूज नहीं करते । या हम ये कह सकते है की यह सामान  दुबारा यूज़ करने लायक रहता नहीं है।

सिंगल यूज़ प्लास्टिक को आखिर बैन करने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है ? इसके लिए हमें इससे होने वाले नुकसानों को समझना होगा । 


इस तरह के किसी भी सामान अर्थात  प्लास्टिक की पॉलीथिन,  प्लास्टिक के छोटे छोटे कप या गिलास, प्लेटे, चम्चे , प्लास्टिक की पानी की बोतल, पाउच, स्ट्रा आदि का इस्तेमाल करके जब हम फेक देते है तो हम ये समझ लेते है की हमें उस कचरे से छुटकारा मिल गया। लेकिन ऐसा नहीं है।  क्योंकि यही हमारे द्वारा फेकी गयी चीजें  नालों  में  जमा होकर पूरा ड्रेनेज सिस्टम बिगाड़ देते है तो नदी, तालाबों में पहुंचकर पानी को दूषित करते है और जलीय जीवों का  जीवन संकट में डाल देते है और मनुष्यों में ये घातक बीमारी को जन्म देते है। आइये इस पर विस्तार से चर्चा करें।


सिंगल यूज़ प्लास्टिक के नुकसान :-

1) स्वास्थ्य की दृष्टी से :-


  • एक शोध के अनुसार एक वर्ष में एक इंसान कम से कम 50 हजार से 70 हजार तक के प्लास्टिक के माइक्रोकणों का सांस के द्वारा एवं खाने - पीने के द्वारा सेवन कर रहा है । 
  • विशेषज्ञों  के अनुसार प्लास्टिक के कण मनुष्य के शरीर में कही न कही जाकर रुक जाते है जिससे कई हार्मोनल बदलाव होते है और कई प्रकार की बीमारियां एवं कैंसर जैसे घातक जानलेवा रोग भी होते है ।
  • प्लास्टिक को  जलाने से दूषित गैस निकलती है जिससे ह्दय रोग में वृद्धि की आशंका भी है। 
  • अक्सर अस्पतालों में या ऑफिसों में  लोग गरम चाय या दूध को पन्नियों में बंधवा लेते है या प्लास्टिक के गिलास में गरम चाय या दूध पीते है। इस तरह गरम चाय या दूध में पन्नी के रसायन/ केमिकल्स भी घुल जाते है और हम उसका सेवन कर लेते है। जो हमारे स्वास्थ्य की दृष्टी से बहुत ही घातक सिद्ध होते है।
  • देश में सालाना  1.70 करोड़ टन से ज्यादा  प्लास्टिक की खपत है। और करीब 26 हजार टन प्लास्टिक का कचरा रोज निकलता है। 
  • देश में एक व्यक्ति  सालाना औसतन 11 किलो प्लास्टिक का उपयोग दैनिक दिनचर्या में कर रहा है। और जाने अनजाने में प्लास्टिक माइक्रोकणों को अपने अंदर ले रहा है। 

 2) जीव जंतुओं के स्वास्थ्य की दृष्टी से :-

  • अक्सर हम खाने पीने की चीजों को पॉलीथिन में बांध कर कचरे में फेक देते। इन्ही कचरे के ढेर  में कई जानवर भोजन तलाशते है और पोलिथिनो में रखे सामान को खाने के चक्कर में वे इन पोलिथिनों को भी खा लेते है । और यही पॉलीथिन आगे चलकर उनकी मृत्यु का कारण बनती है क्योकि पॉलीथिन कही भी जाकर फस जाती है और उनको गंभीर रूप से बीमार कर देती है और परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो जाती है । 
  • इसी तरह कई प्लास्टिक का सामान जिसे हम एक बार इस्तेमाल करके फेक देते है वे नदियों, तालाबों , समुद्र की गहराइयों में जाकर जमा हो जाते है और मछलिया और अन्य जलीय जीव भोजन तलाशते समय इन्हे भी खा लेती है। एक शोध अनुसार लगभग 90 प्रतिशत जलीय जीवों में प्लास्टिक पाया जाता है, जो इनके शरीर में जमा हो जाता है और इनकी मृत्यु का कारण बनता है।
  • एक शोध अनुसार हर साल करीब 11 लाख जलीय जीव, जिनमे समुद्री पक्षी, मछलियाँ, जानवर सभी शामिल है उनकी मृत्यु हो जाती है 
  • इसी प्लास्टिक की वजह से करीब 700 समुद्री जीव विलुप्त होने की कगार पर है।

3) पर्यावरण की दृष्टी से :-

  • हम सब ये अच्छी तरह से जानते है की इस तरह की प्लास्टिक  चाहे वो  मिट्टी में वर्षो तक दबी रहे या बारिश में पडी रहे नष्ट नही होता है।  बल्कि छोटे छोटे टुकड़ों  में टूट जाता है  बारिश के समय इसके अंदर का केमिकल बारिश के पानी के साथ  ही नदी, छोटे छोटे तालाबों , जलाशयों के पानी में मिल जाता है। जिससे पानी दूषित हो जाता है । 
  • भूमि के अंदर प्लास्टिक कई सालों तक दबा पड़ा रहता है और बायोडिग्रेडेबल वेस्ट से मिलकर मीथेन गैस छोड़ता है जो बहुत अधिक हानिकारक होता है। 
  • भूमि के अंदर प्लास्टिक की पन्नियाँ एवं अन्य प्लास्टिक कचरा दबे होने के कारण भूमि में पानी सोखने की क्षमता कम हो जाती है। 
  • मिट्टी का कटाव अधिक होने लगता है। 
  • भूमि की उर्वरक क्षमता घट जाती है।
  • प्लास्टिक के कचरे को जलाने पर  इसके धुएं से पर्यावरण प्रदूषित होता है। 
  • अतः हम सीधे सीधे कहे तो इस तरह की ज्यादातर प्लास्टिक पेट्रिलिय आधारित उत्पाद होते है इनमे केमिकल्स भी  होते है। जो न केवल पर्यावरण को दूषित करते है बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी बहुत ही बुरा असर डालते है। और कई घातक बिमारियों को भी जन्म देते है।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक की उत्पादन लागत काफी कम होती। इसलिए इनका इस्तेमाल हर जगह अत्यधिक मात्रा में होने लगा है। परंतु यूज़ किये हुए प्लास्टिक के कचरे को नष्ट करने का खर्चा बहुत अधिक है। अर्थात जितने प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है उसमे से  91 प्रतिशत  रिसाइकिल नहीं हो पाता है।

सिंगल यूज़ प्लास्टिक की समस्या से सिर्फ भारत ही नहीं वरन् पूरा विश्व जूझ रहा है और इस समस्या से निपटने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी दिशा में कार्य करते हुए जर्मनी में सिंगल यूज़ प्लास्टिक के कचरे का उपयोग बिजली बनाने में किया जा रहा है।

भारत में हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय   प्रदूषण  नियंत्रण बोर्ड की मदद से सड़क निर्माण के लिए इनका उपयोग में किया जा रहा  है।

अंत में निष्कर्ष  ये है की अगर सिंगल यूज़ प्लास्टिक के भयावह परिणामों से बचना है तो सरकार के साथ साथ हमें खुद भी इसके विकल्पों को तलाशना होगा। जैसे -

  • पॉलीथिन की जगह कपडे के बैंग्स का उपयोग करे। 
  • रेलवे स्टेशन, बाजार, होटलों, ऑफिसों में चाय पीने के लिए मिट्टी के कुल्हड़ या कागज के गिलास का उपयोग करें। 
  • पीने का पानी के लिए प्लास्टिक की बोतलों की जगह स्टील की बोतलों का प्रयोग करें। 









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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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