माँ ब्रह्मचारिणी 2021/ Maa Brahmcharini 2021


नवरात्रि 2021 और 9 देवियों की कथा :-

इस साल शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर 2021 को आरंम्भ होने जा रही है।


नवरात्रि में माँ दुर्गा नौं रूपों में विराजती है और पूजी जाती है।

नौ देवियों में माँ दुर्गा का दूसरे दिन का स्वरू माँ ब्रह्मचारिणी का है। अतः यहां हम माँ ब्रह्मचारिणी के बारे में जान लेते है।

माँ  ब्रह्मचारिणी /  Maa brahmcharini/  Navratri dvitiy devi maa brahamcharini ki katha in hindi.:-

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्चारिणी विराजती है माता  ब्रह्मचारिणी का यह स्वरूप जिसमे उनके दांये हाथ में अक्षमाला एवं बांये हाथ में कमण्डल सुशोभित है। माता का यह रूप हमे तप, वैराग्य, सदाचार और त्याग की शिक्षा देता है। माता का यह स्वरूप अत्यंत ही अलौकिक, ज्योतिर्मय एवं मन को शांति देने वाला है।  

मन्त्र :- 

*दधाना  करपद्याभ्याम्अक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।*

(अर्थ :- जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा  माँ दुर्गा मुझ पर कृपा करें।)

ब्रह्म  का अर्थ है तपस्या और चारिणी अर्थात आचरण करने वाली, तप का आचरण करने वाली माता ब्रह्मचारिणी कहलाती है। नवरात्री के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूरी विधि विधान से पूजा, अर्चना की जाति है, एवं उपासना की जाती है। 

ब्रह्मचारिणी  माता  की  कथा/ Brahmacharini mata ki katha in hindi:-

जब माता सती ने पर्वतराज हिमालय के घर  पुत्री रूप में पुनर्जन्म लिया। तब वे पार्वती, हैमवती भी कहलाई। माता बाल्यकाल से ही भगवान शिव की पूजा आराधना  करती थी। नारदजी के उपदेश  पर  माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए जंगल में जाकर कठोर तपस्या की। उन्होंने कई वर्षो तक केवल फल खाये। 3000 वर्षों तक केवल वृक्षों से गिरे बिल्ब पत्र को खाकर कठोर तपस्या की। उसके बाद उन्होंने उसे भी खाना  छोड़ दिया और  नीराहार  रहकर कठोर तपस्या में लीन रही।  कई हजार वर्ष तक खुले में धूप, बरसात,  हर मौसम में कष्ट सहते हुए कठोर तपस्या करती रही। 

उनकी इतनी कठोर तपस्या को  देखकर सभी देवता, ऋषि मुनियों ने कहा, देवी आज तक इतनी कठोर तपस्या किसी ने भी नहीं की। यह तुमसे ही संभव थी। अतः तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी, भगवान शंकर तुम्हे पति रूप में अवश्य ही प्राप्त होंगे।


 माँ ब्रह्मचारिणी स्तुति मन्त्र

*या देवी  सर्वभूतेषु माँ  ब्रह्मचारिणी  रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्ये, नमस्तस्ये, नमस्तस्ये नमो नमः।।*

(हे माँ, सर्वत्र विराजमान और ब्रह्चारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे माँ, आपकों मेरा बारम्बार प्रणाम है।)

माता ब्रह्मचारिणी की पूर्ण श्रद्धा भक्ति से पूजा करने से व्यक्ति को सभी कार्यो में विजय प्राप्त होती है। उसके अंदर त्याग, सदाचार और कठिन से कठिन समय में भी  संयम रखने की  क्षमता में वृद्धि होती है। 

जय माँ ब्रह्मचारिणी।


🌹शुभ नवरात्रि🌹






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Milan Tomic

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