भूकंप|earthquake : जानिए भूकंप आने के कारण, भूकंप की तरंगे, भूकंप मापने का यन्त्र, रिक्टर स्केल की विस्तृत जानकारी
Geography: भूकंप नोट्स |Earthquake Notes for all competitive exams
Siesmology & Earthquake |
भूकंप नोट्स | Earthquake Notes
Synopsis
- भूकंप क्या है | bhukamp kya hai .
- भूकंप आने के कारण| Bhukamp ke karan .
- भूकंप केंद्र (Focus) किसे कहते है| bhukamp kendra kise kahate hai.
- भूकंप अधिकेंद्र किसे कहते है /Epicenter kise kahate hai.
- भूकंप की कितने प्रकार की तरंगे होती है| bhukamp ki tarnge.
- P, S और L waves.
- भूकंप मापने का यंत्र| bhukamp mapne ka yantr.
- भूकंप की तीव्रता मापने का स्केल| bhukamp ki tivrata mapne ka scale.
1) भूकंप किसे कहते है|bhukamp kise kahate hain
- भूकंप ( Earthquake), जब पृथ्वी की सतह में अचानक हलचल होने लगती है पृथ्वी की सतह पर कम्पन महसूस होने लगता है यही भूकंप कहलाता है। और पृथ्वी की सतह पर यह कंपन पृथ्वी के स्थलमंडल में ऊर्जा के अचानक मुक्त होने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकंपीय तरंगों की वजह से होता है।
भूगर्भशास्त्र की वह शाखा जिसमे भूकंपों का अध्ययन किया जाता है सिस्मोलॉजी (Seismology) कहलाता है।
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2) भूकंप क्यों आता है?| bhukamp kaise aata hai .
भूकंप आने के कारण?| Bhukamp ane ke karan
- भूकंप आने का सबसे प्रमुख कारण होता है। पृथ्वी के अंदर की दो प्लेट्स का आपस में टकराना। यह प्लेट टेक्टोनिक कहलाता है। यह प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics) सिद्धांत पर आधारित है।
- सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की ऊपरी परत स्थलमंडल जिसमे क्रस्ट और ऊपरी मैंटल का कुछ हिस्सा भी आता है जो की करीब 100 किमी. मोटी परत होती है। यह कई टुकड़ों मे विभाजित होती है इसे ही प्लेट्स कहते है। इन प्लेट्स के नीचे एस्थेनोस्फीयर की अर्धपिघलित परत होती है जिस पर यह प्लेट्स तैरती रहती है अर्थात गतिशील होती है। और यह प्लेट्स पास आकर टकरा भी सकती या एक दूसरे से दूर भी चली जाती है।
- जहां ये प्लेट्स आपस में ज्यादा टकराती है वह भाग या जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है और इन प्लेट्स के वह किनारेेे जहां ये टकराती वह किनारे विनाशी कगार कहलाते है । जब इन पर ज्यादा दबाव पड़ता है और यह टूट जाती है तब ऊर्जा बाहर निकलती है और भूकंप आता है।
भूकंप का केंद्र(Focus)|bhukamp ka kendr :-
धरातल के अंदर जिस स्थान पर भूकंप आता है उस स्थान को अर्थात भूकंप के उद्भव स्थान को उसका केंद्र या focus कहते है। जब प्लेट्स टकराती है तब ऊर्जा तरंगों (P,S,L) के रूप में निकलती है भूकंप के केंद्र के निकट P,S और L तीनों प्रकार की तरंगे पहुंचती है।
अधिकेंद्र (Epicenter) :-
भूकंप के केंद्र के ठीक ऊपर पृथ्वी की सतह पर स्थित बिंदु को भूकंप का अधिकेन्द्र (Epicenter) कहते है। अधिकेन्द्र पर सबसे पहले P- तरंगे पहुंचती है।
भूकंप की तरंगे| bhukamp tarango ka varnan kijiye:-
भूकंप से तीन तरह की तरंगे उत्पन्न होती है। अतः तीन तरह के कम्पन होते है :-
1. प्राथमिक अथवा पी. तरंगे (Primary or P. Waves) :
- भूकंप आने पर सबसे पहले P तरंगे पृथ्वी की सतह पर पहुंचती है। इसलिए इसे प्राथमिक तरंगे कहते है।
- यह तरंग पृथ्वी के अन्दर प्रत्येक माध्यम से होकर गुजरती है। अर्थात ठोस, द्रव और गैस ये तीनों माध्यम से गुजरती है।इसलिए P तरंगे पृथ्वी के केंद्रीय भाग (Core) जो की लिक्विड फार्म में होता है से भी गुजर जाती है।
- P तरंग का औसत वेग 8 किमी. प्रति सेकेंड होता है।इसकी गति सभी तरंगों में से सबसे अधिक होती है। जिससे ये तरंगे किसी भी स्थान पर सबसे पहले पहुंचती है। पृथ्वी से गुजरने के लिए इन तरंगों द्वारा अपनाया गया मार्ग नतोदर होता है।
- P तरंगे longitudinal अर्थात सीधे चलती है। इनकी आवृत्ति (संख्या) ज्यादा होती है।
- लेकिन यह सबसे कम क्षति पहुंचाती है। अर्थात P तरंगों से सिर्फ कंपन होता है। कोई नुकसान नहीं होता।
2. द्वितीय अथवा एस. तरंगे (Secondary or S-waves):
- द्वितीय अथवा S तरंगों को अनुप्रस्थ तरंगे भी कहते है। यह तरंगे केवल ठोस माध्यम से ही होकर गुजरती है। इनका औसत वेग 4 किमी प्रति सेकेंड है।
- पृथ्वी के केंद्रीय भाग (Core) पर पहुंचने पर S- तरंगे लुप्त हो जाती है। क्योंकि ये द्रव में नहीं जाती है
- इनकी आवृत्ति औसत होती है इससे बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होता है।
- ये अनुप्रस्थ तरंगे है इसलिए ये सीधे नहीं चलती है ये ऊपर नीचे या उठ उठ कर चलती है।
-S तरंगों को गौण तरंगे भी कहते है।
3. सतही एवं एल तरंगे (Surface or L-waves):
- L तरंगे को धरातलीय या लंबी तरंगों के नाम से भी पुकारा जाता है। क्योंकि ये तरंगे केवल धरातल पर ही चलती है।
- इन तरंगों की खोज H.D. Love ने की थी। इसीलिए इन्हे Love तरंगों के नाम से भी पुकारा जाता है। इसका अन्य नाम R-waves (Ray Light Waves) है।
- यह तरंगे मुख्यतः धरातल तक ही सीमित रहती है। ये ठोस में से गुजर सकती है। इसका वेग 1.5-3 किमी प्रति सेकेंड है। इसकी आवृत्ति कम होती है।
- L तरंगे या सतही तरंगे अत्यधिक विनाशकारी होती है।इसके झटकों से अत्यधिक जान माल का नुकसान होता है।
- पृथ्वी के भीतरी भागों में ये तरंगे अपना मार्ग बदलकर भीतर की ओर अवतल मार्ग पर यात्रा करती है। भूकंप केंद्र से धरातल के साथ 11000 किमी की दूरी तक P तथा S- तरंगे पहुंचती है। केंद्रीय भाग (Core) पर पहुंचने पर S- तरंगे लुप्त हो जाती है। और P- तरंगे अपवर्तित हो जाती है इस कारण भूकंप के केंद्र से 11000 किमी के बाद लगभग 5000किमी तक कोई भी तरंग नही पहुंचती है इस क्षेत्र को छाया क्षेत्र (Shadow Zone) कहा जाता है।
सिस्मोग्राफ यंत्र क्या है | Seismograph yantra kya hai.
भूकंपीय तरंगों को सिस्मोग्राफ नामक यंत्र द्वारा रेखांकित किया जाता है। इससे इनके व्यवहार के संबंध में निम्नलिखित तथ्य निकलते हैं।
- सभी भूकंपीय तरंगों का वेग, अधिक घनत्व वाले पदार्थो में से गुजरने पर बढ़ जाता है। तथा कम घनत्व वाले पदार्थो में से गुजरने पर घट जाता है।
- केवल प्राथमिक तरंगे ही पृथ्वी के केंद्रीय भाग से गुजर सकती है। परंतु वहां पर उनका वेग कम हो जाता है।
- S तरंगे या गौण तरंगे द्रव पदार्थ में से नही गुजर सकती।
- L तरंगे केवल धरातल के पास ही चलती है।
- विभिन्न माध्यमों में से गुजरते समय ये तरंगे परावर्तित तथा अपवर्तित होती है।
- भूकंप की तरंगों की तीव्रता को भूकंपलेखी या सिस्मोग्राफ (Seismograph) द्वारा मापा जाता है । इसके तीन स्केल होते है। 1. रॉसी फेरल स्केल 2. मरकेली स्केल 3. रिक्टर स्केल।
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भूकंप की तीव्रता मापने का स्केल:-
रिक्टर स्केल (Richter Scale) :-
- भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल सबसे ज्यादा प्रचलित है। भूकंप की तीव्रता मापने वाले रिक्टर स्केल का विकास अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर द्वारा 1935 ई. में किया गया था। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। रिक्टर स्केल पर प्रत्येक अगली इकाई पिछली इकाई की तुलना में 10 गुना अधिक तीव्रता रखती है। इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का अर्थ हल्का भूकंप होता है। जबकि 6.2 की तीव्रता का अर्थ शक्तिशाली भूकंप होता है।
भूकंप किन क्षेत्रों में ज्यादा आते है :-
- अभी तक हमने देखा की भूकंप के आने का मुख्य कारण प्लेटो में गति है। जब इन प्लेटों के किनारे आपस में टकरा जाते है तब भूकंप आता है। इसका अर्थ यह की वह क्षेत्र जहां भूकंप आने की संभावना होती है वह क्षेत्र इन प्लेट्स के किनारों पर स्थित होते है। इसलिए नेपाल, हिमालय और हिमालय से सटे भारत के क्षेत्र जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, बिहार में भूकंप की संभावना रहती है। क्योंकि यहां से मध्य महाद्वीपीय पेटी गुजरती है।
- सबसे ज्यादा भूकंप का क्षेत्र है प्रशांत महासागरीय पेटी है। यहां भूकंप और ज्वालामुखी दोनों बहुत अधिक आते है।
☛ भूकंप से सबंधित प्रश्न उत्तर
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