क्रिसमस - प्रभू यीशु मसीह की कहानी
भाग -3
यीशु मसीह की बढ़ती लोकप्रियता देखकर सभी धर्मशास्त्रियों ने सभा की कि कैसे उनसे छुटकारा पाया जा सके। उसी सभा में प्रभु यीशु का एक शिष्य यहूदा स्किरयोगी भी पहुंचा। स्किरयोगि ने ही तीस - चालीस चांदी के चन्द सिक्कों के लिए यीशु मसीह के साथ विश्वासघात किया।
रात को जब प्रभु प्रार्थना करने गए तब उन्हें इस बात का आभास था की वो घड़ी आ चुकी है, जब उन्हें पकड़ लिया जायेगा। और क्रूज पर चढ़ा दिया जायेगा। तभी प्रार्थना करते समय उनके सामने तेज प्रकाश के साथ एक स्वर्गदूत प्रकट हुए, जो उन्हें सामर्थ देने आये थे।
कुछ ही देर में कुछ धर्मशास्त्रियों और सिपाहियों के साथ यहूदा वहां आ पहुंचा और यीशु मसीह को पकड़वा दिया। यीशु मसीह के साथ वहां के सिपहियों ने बहुत बुरा वर्ताव किया। उन लोगो ने उन्हें धक्का देकर जमींन पर गिरा दिया और उनकों लात घूंसों से मारने लगे।ये यहूदियों का राजा है कहकर उनका मजाक उड़ाने लगे।
पतरस जो उनका शिष्य था वह भीड़ में छिपकर यह सब देख रहा था। की तभी एक स्त्री बोली ये आदमी भी यीशु के साथ ही था। इतना सुनते ही पतरस बोला नहीं बहन, मैं तो उनकों जनता भी नहीं, और वो भीड़ में दूसरी जगह जाकर खड़ा हो गया।
थोड़ी ही देर में एक आदमी की नजर पतरस पर पड़ी तो वो बोला, तुम भी तो गलीली हो, क्या तुम भी इस आदमी के साथ हो (यीशु की और इशारा करते हुए पूछा ) पतरस बोला नहीं नहीं मैं उन्हें नहीं जानता हूँ, कहते हुए वो वहां से चला गया और फिर दूसरी जगह जाकर भीड़ में छिपकर खड़ा हो गया। तब एक आदमी ने सिपाहियों से कहा ये आदमी भी यीशु के साथ था मैंने इसे देखा था। यह सुनकर पतरस घबरा गया और बोला अरे भाई तुम ये क्या बोल रहे हों। मैने कहा न, मैं इन्हे नहीं जनता हूँ। तभी मुर्गे की बांग हुई और यीशु ने पतरस को देखा। पतरस तुरंत समझ गया की यीशु ने क्यों कहा था, कि पतरस तुम मुझे मुर्गे की बांग से पहलेल0 तीन बार पहचानने से इंकार करोंगे।
वह आत्मग्लानी से भर उठा और मन ही मन प्रभु से क्षमा मांगने लगा।
जब यीशु को वहां के राजा के सामने प्रस्तुत किया गया, तो राजा ने कहा इसका अपराध ऐसा नहीं की इसे मृत्युदंड दिया जाये , इसलिए मैं इसे कोड़े लगाने का आदेश देता हूँ।
और तब यीशु को कोड़े से मारा जाने लगा। लेकिन वहां के लोग जो यीशु के विरोधी थे चिल्लाने लगे इसे क्रूज पर चढ़ाओ, क्रूज पर चढ़ाओ। तब राजा ने यीशु को क्रूज पर चढ़ाने का आदेश दे दिया।
जब यीशु को क्रूज पर चढ़ाने के लिए ले जाया जा रहा था तब उनके अनुयायी जो उन्हें अपना राजा मानते थे वे जोर जोर से रो रहे थे। उन्हें एक बार छूना चाहते थे। वे सब कह रहे थे, ये प्रभु हे , इन्हे इतनी तकलीफ क्यों दे रहें हो, ये परमेश्वर के मसीह है।
जब यीशु को ले जाया जा रहा था तब उनके कन्धों पर लकड़ी का एक भारी गठ्ठा बांध दिया गया। यीशु पूरी तरह से घायल थे उनके शरीर में जगह - जगह से खून बह रहा था। कपड़े जगह जगह से फट चुके थे। वो लड़खड़ा रहे थे। बार बार चलते चलते गिर रहे थे। उनकी यह दशा देख उनके सब अनुयायी रो रहे थे।
आख़िरकार उन्हें उस स्थान पर ले जाया गया जहा उन्हें क्रूज पर चढ़ना था। उनके दोनों हाथ और पैरों में बड़े बड़े किले ठोके गए। वे दर्द से कराह रहे थे। उन्हें दों चोरों के बीच में क्रूज पर चढ़ा दिया गया। उनके सर के ऊपर एक तकती लटका दी गई जिसमे लिखा था ये यहुदिओं का राजा है। वहां भीड़ जमा थी जिसमे उनके शिष्य भी थे। वे सब रो रहे थे।
तभी वहां कुछ धर्मशास्त्री आये और बोले तू तो लोगो को बचता है न तो बचा ले अपने आप को। दिखा हमें भी अपना चमत्कार।
प्रभु यीशु यह सुनकर बहुत दुखी मन से बोले, " हे परमेश्वर इन्हें क्षमा करना। ये नहीं जानते की ये क्या कर रहे है।"
दोपहर होते ही आसमान में अँधेरा छा गया। मंदिर का पर्दा फट गया। यह सब देख लोग घबरा गए और इधर उधर भागने लगे। और यीशु ने परमेश्वर को याद करते हुए कहा, हे परमेश्वर में अपनी आत्मा आपको सोपता हूँ।
यीशु की मृत्यु के तीसरे दिन जब कुछ शिष्य उनकी कब्र पर गए तो उन्होंने कब्र का पत्थर लुढ़का पाया। वे घबरा गए वे भाग के अंदर गए। लेकिन वहां प्रभु का शव नहीं था। यह देख शिष्य घबरा गए कि तभी उनके सामने अचानक तेज प्रकश हुआ , और दो स्वर्ग दूतों ने प्रकट हो कर कहा की उन्हें मृतकों में क्यों ढूंढ़ते हो, वे जी उठे है। क्या तुम्हे उनके बारे में की गई भविष्यवाणी याद नहीं।
ये सुनते ही वे लोग भागे - भागे उनके अन्य शिष्यों और अनुयायिओं के पास पहुंचे और उन्हें बताया की प्रभु का शव कब्र में नहीं है वे जी उठे है, हमें दो स्वर्ग दूतों ने ये बात बताई है।
वो ये बता ही रहे थे की तभी प्रभु यीशु उनके सामने आ गए। वे बिलकुल सफेद वस्त्र पहने थे। उनका चेहरा प्रकाशमान हो रहा था।
उन्होंने अपने शिष्यों से कहा तुम्हे शांति मिले।उनकों इस तरह अचानक जीवित देख उनके शिष्य घबरा गए , वे सोच रहे थे की ये, प्रभु यीशु ही है की उनकी आत्मा।
प्रभु समझ गए, उन्होंने कहा, तुम क्यों चिंता करते हो। तुम्हे शंका क्यों हो रही है। ये मैं ही हूँ। तुम मुझे छूकर देखों। प्रभु बोले , मैंने तुम्हे बताया था की मेरे बारे में भविष्यवक्ताओं ने जो कुछ कहा वो सच होगा। मुझे दुखः दिया जायेगा और फिर मार डाला जायेगा। लेकिन तीसरे दिन मैं फिर से जी उठूंगा।
प्रभु यीशु ने तीसरे दिन मृतकों में से जी उठकर यह बताना चाहा कि उनका सामर्थ्य मृत्यु की सामर्थ्य से कही ज्यादा है। उन्होंने कहा मैं प्राण देने का सामर्थ्य रखता हूँ , तो उसे वापस लेने का भी सामर्थ्य है मुझमे।
उन्होंने अपने शिष्यों से कहा की , मेरे नाम से पश्चाताप, पाप और क्षमा के सन्देश का प्रचार सारे संसार में किया जायेगा। उन्होंने कहा स्वर्ग से सामर्थ्य मिलने तक तुम येरुशलम में ही रहकर प्रतीक्षा करना। परमेश्वर तुम्हारी रक्षा करेंगे और आशीष देगें।
संसार में सब लोगों को वो बताओं जो मैंने तुम्हे सिखाया है। उन्हें वे आज्ञाएं मानना सिखाओं। उन्होंने शिष्यों से कहा की वे हर राष्ट्र में मेरे नाम से ये प्रचार करेंगे, कि परमेश्वर सब अपराधों के लिए क्षमा करते है वे पाप छोड़ कर उनकी और आये।
फिर वे अपने शिष्यों को लेकर चल दिए एक पथरीली मैदानी जगह पर जाकर रुक गए। अपने शिष्यों से बोले, स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। तुम सब जगह जाकर मेरे नाम से प्रचार करों, परमेश्वर सबकी रक्षा करेंगे, उन्हें ये बताओं। मैं जगत के अंत तक तुम्हारे साथ हूँ।
यह कहते हुए वह स्वर्ग की और चले गए।
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तभी वहां कुछ धर्मशास्त्री आये और बोले तू तो लोगो को बचता है न तो बचा ले अपने आप को। दिखा हमें भी अपना चमत्कार।
प्रभु यीशु यह सुनकर बहुत दुखी मन से बोले, " हे परमेश्वर इन्हें क्षमा करना। ये नहीं जानते की ये क्या कर रहे है।"
दोपहर होते ही आसमान में अँधेरा छा गया। मंदिर का पर्दा फट गया। यह सब देख लोग घबरा गए और इधर उधर भागने लगे। और यीशु ने परमेश्वर को याद करते हुए कहा, हे परमेश्वर में अपनी आत्मा आपको सोपता हूँ।
यीशु की मृत्यु के तीसरे दिन जब कुछ शिष्य उनकी कब्र पर गए तो उन्होंने कब्र का पत्थर लुढ़का पाया। वे घबरा गए वे भाग के अंदर गए। लेकिन वहां प्रभु का शव नहीं था। यह देख शिष्य घबरा गए कि तभी उनके सामने अचानक तेज प्रकश हुआ , और दो स्वर्ग दूतों ने प्रकट हो कर कहा की उन्हें मृतकों में क्यों ढूंढ़ते हो, वे जी उठे है। क्या तुम्हे उनके बारे में की गई भविष्यवाणी याद नहीं।
ये सुनते ही वे लोग भागे - भागे उनके अन्य शिष्यों और अनुयायिओं के पास पहुंचे और उन्हें बताया की प्रभु का शव कब्र में नहीं है वे जी उठे है, हमें दो स्वर्ग दूतों ने ये बात बताई है।
वो ये बता ही रहे थे की तभी प्रभु यीशु उनके सामने आ गए। वे बिलकुल सफेद वस्त्र पहने थे। उनका चेहरा प्रकाशमान हो रहा था।
उन्होंने अपने शिष्यों से कहा तुम्हे शांति मिले।उनकों इस तरह अचानक जीवित देख उनके शिष्य घबरा गए , वे सोच रहे थे की ये, प्रभु यीशु ही है की उनकी आत्मा।
प्रभु समझ गए, उन्होंने कहा, तुम क्यों चिंता करते हो। तुम्हे शंका क्यों हो रही है। ये मैं ही हूँ। तुम मुझे छूकर देखों। प्रभु बोले , मैंने तुम्हे बताया था की मेरे बारे में भविष्यवक्ताओं ने जो कुछ कहा वो सच होगा। मुझे दुखः दिया जायेगा और फिर मार डाला जायेगा। लेकिन तीसरे दिन मैं फिर से जी उठूंगा।
प्रभु यीशु ने तीसरे दिन मृतकों में से जी उठकर यह बताना चाहा कि उनका सामर्थ्य मृत्यु की सामर्थ्य से कही ज्यादा है। उन्होंने कहा मैं प्राण देने का सामर्थ्य रखता हूँ , तो उसे वापस लेने का भी सामर्थ्य है मुझमे।
उन्होंने अपने शिष्यों से कहा की , मेरे नाम से पश्चाताप, पाप और क्षमा के सन्देश का प्रचार सारे संसार में किया जायेगा। उन्होंने कहा स्वर्ग से सामर्थ्य मिलने तक तुम येरुशलम में ही रहकर प्रतीक्षा करना। परमेश्वर तुम्हारी रक्षा करेंगे और आशीष देगें।
संसार में सब लोगों को वो बताओं जो मैंने तुम्हे सिखाया है। उन्हें वे आज्ञाएं मानना सिखाओं। उन्होंने शिष्यों से कहा की वे हर राष्ट्र में मेरे नाम से ये प्रचार करेंगे, कि परमेश्वर सब अपराधों के लिए क्षमा करते है वे पाप छोड़ कर उनकी और आये।
फिर वे अपने शिष्यों को लेकर चल दिए एक पथरीली मैदानी जगह पर जाकर रुक गए। अपने शिष्यों से बोले, स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। तुम सब जगह जाकर मेरे नाम से प्रचार करों, परमेश्वर सबकी रक्षा करेंगे, उन्हें ये बताओं। मैं जगत के अंत तक तुम्हारे साथ हूँ।
यह कहते हुए वह स्वर्ग की और चले गए।
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