हिंदी कहानी - शेखचिल्ली

 शेखचिल्ली के सपने 


शेखचिल्ली की कहानी
एक छोटा सा गांव था। इस गाँव में भोला नाम का एक व्यक्ति रहता था, महा आलसी।😴😴 वो किसी भी काम को करने से हर वक्त बचता रहता था। गाँव वालों ने तो उसका नाम ही आलसीराम रख दिया था। उसकी बूढ़ी माँ अपने बेटे की आदतों से बहुत ज्यादा परेशान थी। पर बेचारी करती भी तो क्या।

माँ रोज की तरह सुबह जल्दी उठ कर घर का काम निपटाने लगी, क्योंकि फिर उन्हें काम पर भी तो जाना था।

काम करते करते अम्मा बड़बड़ा रही थी😞 इस बुढ़ापे में न जाने कितना काम और करना लिखा है मेरी किस्मत में। बेटा भी दिया तो ऐसा निक्कमा, दिनभर या तो बिस्तर तोड़ता रहेंगा, 😴😴या इधर उधर घूमता रहेंगा। अपनी इस बूढ़ी माँ की तो जरा परवाह  नहीं है।

अरे अब सोता ही रहेगा की उठेगा भी, सूरज सर पर चढ़ गया अब तो उठ जा, अरे बहार जाकर कुछ काम नहीं करना है तो थोडा घर के काम में ही मेरा हाथ बटा दे। अपनी बूढ़ी माँ पर थोडा तो तरस खा ले। अम्मा भोला से चिल्लाते हुए बोली।

अरे अम्मा क्यों सुबह सुबह बड़बड़ा रही हो, भोला सोते सोते 😑 ही अम्मा से बोला।

अरे कोस रही हूँ अपनी किस्मत को, की तेरा जैसा बेटा मिला। अम्मा गुस्से में बोली।

अरे अम्मा देखना जिस दिन मैं काम करने लगूंगा ना, तुम्हें  एक काम नहीं करने दूंगा, देख लेना, हाँअ अ ..😇😇.......भोला बोला।

इतना सुनते ही अम्मा गुस्से से चिल्लाई, 😬अरे शेखचिल्ली सपने देखना छोड़ और नींद से जाग। बहार जाकर कुछ काम काज़ ढूंढ।

भोला अम्मा के बार बार उलाहना देने पर घर से निकल कर टहलते हुए एक खेत के पास सड़क किनारे बैठ गया। वो सोच रहा था। किसी तरह दिन निकल जाये, शाम ढलते ही घर जाकर अम्मा से कह दूंगा अम्मा मैंने तो बहुत काम ढूंढा पर कोई काम नहीं मिला।

सड़क किनारे  बैठे बैठे भोला यही  सोच रहा था 🙇कि तभी उसे एक आवाज आई।

अरे भाई सुनों, मेरी थोड़ी मदद करोगें क्या, मेरा थोडा सा काम कर दो , बदले में मैं तुम्हे कुछ पैसे भी दूंगा। भोला ने पलट कर देखा तो उसके बगल में एक सेठजी खड़े थे।👳

उसने खड़े होते हुए पूछा कैसा काम।

सेठजी ने अपने बगल में रखे एक पीपे की और इशारा करते हुए कहा, यह घी का पीपा है इसे मेरे घर तक पहुंचाना है।

भोला ने तुरंत पूछा कितने पैसे दोंगे।

पूरे 2 रु. दूंगा। सेठजी ने कहा।

ठीक है। मैं ये पीपा आपके घर तक पहुंचा दूंगा, कहते हुए भोला ने पीपा अपने सिर पर रख लिया।

अब सेठजी खेत के बगल की पगडण्डी पर आगे आगे चलने लगे और भोला उनके पीछे पीछे। चलते चलते भोला सोचने लगा 😇इस पीपे को जब मैं सेठजी के घर पहुंचा दूंगा तब वो मुझे 2 रु. देंगे, उस  दो रु. से मैं एक बकरी खरीदूँगा। फिर उसका दूध गांव में बेचूंगा, उससे मुझे पैसे मिलेंगे, तो एक और बकरी खरीद लूंगा, और ज्यादा दूध बेचने लगूंगा।

यही सोचते सोचते भोला वही रुक गया। 😇😇

खड़े खड़े सोचने लगा, 🙇जब ज्यादा दूध बेचूंगा तो पैसे भी ज्यादा आने लगेंगे, उससे मैं और बकरी खरीदूँगा। ऐसे करते करते मेरे पास बहुत सारी  बकरियां हो जायेगी और मैं अमीर हो जाऊंगा।

तभी सेठजी ने पीछे पलट कर देखा। 👳 भोला एक ही जगह खड़े खड़े कुछ सोचते हुए मुस्कुरा रहा था।😇

अरे वही क्यों खड़े हो, चलते क्यों नहीं, पांव में मेंहदी लगी है क्या। सेठजी भोला को देखकर जोर से चिल्लाये।👳

सेठजी की आवाज सुनते ही भोला जैसे नीद से जागा, और जल्दी जल्दी चलने लगा।🚶🚶

चलते चलते वो फिर सोच में डूब गया। जब मैं अमीर हो जाऊंगा, तब सबसे पहले रहने के लिए एक अच्छा सा घर बनाऊंगा। और यही सोचते सोचते फिर रुक गया।......

जब मेरे पास खूब पैसे आ जायेंगे तब मैं अम्मा को बिल्कुल काम नहीं करने दूंगा। उसके बाद अम्मा मेरी शादी कर देंगी, और मेरी भी गृहस्थी बस जाएँगी। भोला ये सोच ही रहा था की उसके कानों में सेठजी की जोर से चिल्लाने की आवाज आई।👳

अरे फिरसे क्यों रुक गए। चलते चलते सो जाते हो क्या। सेठजी की आवाज सुनते ही भोला फिर चलने लगा।🚶🚶....

लेकिन भोला ठहरा शेखचिल्ली, 😇सो उसके सपने तो ख़त्म होने से रहे। वो चलते चलते फिर सोच में डूब गया।

धीरे धीरे  समय निकलने लगेगा। फिर मैं बूढ़ा हो जाऊंगा, पर तब तक मेरे बच्चे बड़े हो जायेंगे और मेरे कारोबार में मेरी मदद करने लगेंगे, और मेरा कारोबार खूब बड़ जायेगा।

फिर मेरे बच्चों की शादी होगी। मेरे खूब सारे पोते पोती होंगे। लेकिन तब तक मैं बहुत बूढ़ा हो जाऊंगा और अपने पोता पोती के साथ खूब खेलूंगा।

भोला सोचते हुए मुस्करा रहा था😇 और धीरे धीरे क़दमों से आगे बड़ रहा था।

जब मेरे पोते पोती मेरे साथ खेलेंगे तो कोई मेरे कंधे पर चढेंगा, कोई मेरी गोद में बैठेगा, तो कोई मेरे सिर पर चढेगा, और कोई मेरी दाढ़ी खिचेंगा।

जब मेरे पोते मेरी दाढ़ी खीचेंगे तो मैं झटके से अपना सिर हिलाकर अपनी दाढ़ी छुड़ाऊंगा, यह सोचते हुए भोला ने अपने सर को जोर से हिला दिया। सिर हिलाते ही घी का पीपा धड़ाम से ज़मीन पर जा गिरा।

आगे चल रहे सेठजी को जैसे ही कुछ गिरने की आवाज आई,  उन्होंने तुरंत पलट कर देखा 👳, घी का पीपा ओंधे मुंह ज़मीन पर पड़ा था, उसमे से घी की धारा निकलकर आसपास के खेतों की सिचांई करने चल पड़ी थी।

यह दृश्य देखते ही सेठजी जोर से चिल्लाये, अरे नालायक यह तूने क्या किया, मेरा सारा घी गिरा दिया। चिल्लाते हुए सेठजी तेजी से भोला के पास आये।😬

सेठजी को क्रोधित देख भोला बड़ी मासूमियत से बोला, 😮 इसमे मेरी कोई गलती नहीं है सेठजी। वो तो मेरे पोता पोती मेरी दाढ़ी जोर से खीच रहे थे , तो मैंने  सिर्फ उनसे अपनी दाढ़ी  छुड़ाने के लिए अपने सिर को थोडा झटका दिया, अब इतने से झटके से आपका घी का पीपा निचे गिर गया, तो इसमे मैं क्या करूँ।😔😔😔.....

पोता- पोती.........सेठजी ने ये बात सुनते ही हैरानी से भोला से पूछा, किसके पोता- पोती, तुम्हारी दाढ़ी खीच रहे थे। और तुम्हारी दाढ़ी कहाँ है जिसे कोई खिचेंगा। अरे तुम पागल हो क्या। हे भगवान् ये किस बेवकूफ से पाला  पड़ा है मेरा। सेठजी गुस्से से खीजते हुए बोले।😬

तभी भोला तपाक से बोला, अरे सेठजी, किसके पोता पोती  नहीं,  मैं तो मेरे पोता पोती की बात कर रहा था, अभी नहीं है तो क्या, आगे तो होंगे न और मेरी दाढ़ी भी खीचेंगे, बस में उन्ही के बारे में सोच रहा था।😇

यह सुनते ही  सेठजी सर पकड़ कर नीचे बैठ गए। 🙇🙇अब तक सेठजी को या तो समझ आ चूका था की उनका पाला एक शेखचिल्ली से पड़ा है।

उनकी आँखों के सामने पीपे में से घी पानी की तरह निकल कर खेतों की पोषकता बढ़ाने में लग गया था। सेठजी बैठे बैठे सोच रहे थे काश इस घी को मैं मिट्टी में से निचोड़कर वापस पीपे में भर सकता।😱😱😱

सेठजी के सामने खड़े खड़े भोला सेठजी के मनोभाव को समझने की कोशिश कर रहा था। कुछ देर चुपचाप खड़े रहने के बाद आखिरकार भोला से रहा नहीं गया तो वो सेठजी को ढांढस बंधाते हुए बोला, अब सेठजी जो होना था सो हो गया, आपके इतने दुखी होने से घी तो वापस पीपे में भर नहीं जायेगा।  ये समझ लीजिये की वो घी आपके भाग में ही नही था। शायद भगवान् की यही इच्छा थी।

सेठजी गुस्से से लाल हो रहे थे, लेकिन फिर भी वो भोला से कुछ नहीं बोले।😫😫😫

सेठजी को चुपचाप देख भोला फिर बोला, अच्छा सेठजी मैं चलता हूँ मुझे देर हो रही है। आप मेरी मजदूरी दे दीजिये।😇😇

इतना सुनते ही सेठजी ने भोला को घूर कर देखा, 😠 सेठजी के देखते ही भोला बड़ी मासूमियत से बोला,😮 हा सेठजी मेरी मजूरी पूरे 2 रु. आपने कहा था ना।

सेठजी ने अपने आस पास घूमकर देखा, कुछ दूरी पर उन्हें एक डंडा दिखा वो झट से उठे और उन्होंने वो डंडा उठा लिया।  सेठजी को डंडा उठाते देख भोला को समझने में देर न लगी की ये डंडा उसके स्वागत के लिए ही उठाया जा रहा है।

स्थिति को समझते ही भोला ने वहां से भागने मे ही समझदारी समझी। आगे आगे भोला 🏃🏃🏃पीछे पीछे सेठजी।.🏃........

अरे रुक भागता कहाँ है शेखचिल्ली, तेरी मजूरी देता हूँ अभी, रुक........रुक भागता कहाँ है।🏃🏃

भोला भागते भागते बोला मजूरी तो मैं लेकर रहूंगा, वो मेरी  मेहनत की कमाई है। फिर उससे मुझे बकरी भी तो खरीदना है तभी तो में अमीर बनूँगा हाह्ह्ह्हह्ह..............सेठजी तुमको मैं अपनी मेहनत की कमाई खाने नहीं दूंगा, मैं तुमसे डरता नहीं हूँ।🏃🏃🏃.............मेरे 2 रु. तो तुमको मुझे देने ही होंगे...... अरे तुमको क्या लग रहा है मैं तुमसे डर गया हूँ अरे मैं डरा वरा नहीं हूँ, वो तो मुझे कहि जाना है इसलिए जा रहा हूँ। मैं 2 रु. छोड़ने वाला नहीं हूँ । हाह्ह्ह्ह्....🏃🏃🏃🏃🏃...मुझे बक.........री लेनी है.......बक.......र...ईईई।🏃🏃🏃🏃🏃🏃🏃🏃🏃🏃🏃🏃🏃🏃🏃🏃🏃.....बकरीईईईईईई....🏃🏃🏃🏃🏃🏃


























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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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